उत्तर प्रदेशवाराणसी

Varanàsi : भारतीय रेल में विद्युतीकरण के 100 गौरवशाली वर्ष पूरे, बरेका में ऐतिहासिक प्रदर्शनी का 03 से 05 फरवरी तक भव्य आयोजन

वाराणसी,1 फरवरी । भारतीय रेलवे के विद्युतीकरण के 100 वर्ष पूरे होने के ऐतिहासिक अवसर को बनारस रेल इंजन कारखाना में गौरवशाली रूप से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर 03 से 05 फरवरी 2025 तक सूर्य सरोवर परिसर, बरेका में एक विशेष प्रदर्शनी एवं विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रदर्शनी में रेलवे विद्युतीकरण की विकास यात्रा, भारतीय रेलवे की ऐतिहासिक उपलब्धियाँ और भविष्य की योजनाओं को दर्शाया जाएगा। महाप्रबंधक श्री नरेश पाल सिंह ने इसे भारतीय रेलवे के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय बताया। उन्होंने कहा, “रेलवे विद्युतीकरण के 100 वर्षों की यह यात्रा, भारतीय रेल के आत्मनिर्भर और पर्यावरण-अनुकूल भविष्य की ओर बढ़ते कदमों को दर्शाती है।

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बरेका इस ऐतिहासिक अवसर का हिस्सा बनकर गर्व महसूस कर रहा है। प्रमुख मुख्य विद्युत इंजीनियर श्री सुशील कुमार श्रीवास्तव ने कहा,विद्युतीकरण ने भारतीय रेलवे को आधुनिक, तेज और ऊर्जा-संवेदनशील बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह प्रदर्शनी रेलवे के इस गौरवशाली सफर को प्रस्तुत करने का एक प्रयास है। प्रदर्शनी में विद्युतीकरण के ऐतिहासिक पड़ाव, लोकोमोटिव का विकास, ऊर्जा दक्षता और रेलवे विद्युतीकरण की तकनीकी प्रगति को आकर्षक मॉडलों, डिजिटल डिस्प्ले और दस्तावेजों के माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा।
विद्युत संकर्षण या कर्षण तकनीकी का भारतीय रेल यातायात में उपयोग करने हेतु रेल विद्युतीकरण प्रणाली की आवश्यकता पड़ी। विद्युत कर्षण में भारी परिवहन वाहनों जैसे कि ट्रेन, ट्राम आदि को कुशलतापूर्वक एवं पर्यावरण अनुकूल चलाने के लिए विद्युत शक्ति का उपयोग होता है। इस तकनीकी में लोकोमोटिव (रेल इंजन) में लगी भारी इलेक्ट्रिक मोटरें यातायात परिवहन के लिए शक्ति प्रदान करती है, जिनकी उर्जा का स्त्रोत ओवर हेड लाइनें या तीसरी रेल या ऑनबोर्ड बैटरी प्रणाली है। इस व्यवस्था के परिणामस्वरूप परिचालन लागत में कमी, उर्जा दक्षता एवं स्वच्छ वातावरण की प्राप्ति होती है। इससे देश में आयातित डीजल तेल में भी काफी कमी आई है।
भारतीय रेल में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन 03 फरवरी 1925 को बाम्बे विक्टोरिया टर्मिनस (वीटी) और कुर्ला हार्बर लाइन पर चलायी गयी थी। इस ट्रेन को 1500 V DC से विद्युतीकृत किया गया था तथा इसे तत्कालीन मुम्बई गवर्नर सर लेस्ली विल्सन ने हरी झंडी दिखाई थी। लगभग 1960 के आस-पास भारतीय रेल में 25 kV AC कर्षण प्रणाली की शुरुआत हुई तथा 1990 के दशक अन्त में 2×25 kV AC कर्षण प्रणाली के संयंत्र लगाये जाने लगे। आज भारतीय रेल के 66,500 BGKM में से 64,600 BGKM के रेलमार्ग (लगभग 97%) विद्युतीकृत किये जा चुके हैं एवं 18 में से 12 रेल जोन पूर्ण रूप से विद्युतीकृत किया जा चुका है। DC और AC विद्युत कर्षण का उपयोग उच्च गति वाहनों जैसे कि रेल गाड़ी, मेट्रो, ईएमयू, मेमू, हाइ स्पीड कारों आदि में किया जाता है। इस तकनीक के उपयोग से कम प्रदूषण उत्सर्जन स्तर, अधिक ऊर्जा कुशलता एवं पारम्परिक डीजल चलित ट्रेनों के विपरीत तीव्र एवं सहज त्वरण की प्राप्ति होती है। डीजल कर्षण की तुलना में, विद्युत संकर्षण की लागत आधा से भी कम आती है।
आज भारतीय रेल में विद्युत कर्षण तकनीकी से वंदे भारत ट्रेन, अमृत भारत ट्रेन, WAP-7, WAG-9, WAG-12, मेट्रो आदि रेल इंजनों का परिचालन हो रहा है, जिससे कि लाखों यात्रियो का आवागमन और करोड़ों टन माल ढुलाई में सुविधा हुई है एवं इसमें दिन प्रतिदिन उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। वित्तीय वर्ष 2023-2024 में भारतीय रेल ने 1,590 मिलियन टन (MT) से अधिक माल की ढुलाई की, जो पिछले वर्ष की तुलना में 5% अधिक है। यह भारतीय रेल के इतिहास में सबसे अच्छा माल लदान था। इसके साथ ही वित्तीय वर्ष 2023-2024 में भारतीय रेल ने 670 करोड से अधिक यात्रियों को यात्रा कराई। यह पिछले वर्ष की तुलना में 7% अधिक है।

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