
नई दिल्ली । दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत का विरोध करते हुए ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा पेश किया । ईडी ने अपने हलफनामे में कहा है कि चुनाव प्रचार करना कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है. अगर इस तरह चुनाव प्रचार करने के लिए बेल दी गई तो फिर तो किसी नेता को गिरफ्तार करना ही मुश्किल हो जाएगा ।
ईडी ने अपने हलफनामे में कहा कि पिछले 5 साल में देश भर में कुल 123 चुनाव हुए हैं. अगर चुनाव में प्रचार के आधार पर नेताओं को जमानत दी जाने लगी तो न तो कभी किसी नेता हो गिरफ्तार किया जा सकेगा और न ही उसे न्यायिक हिरासत में भेजा जा सकेगा, क्योकि देश मे हमेशा कोई न कोई चुनाव होता रहता है. भारत के फेडरल स्ट्रक्चर के कारण कोई भी चुनाव छोटा या बड़ा नहीं होता. तब हर नेता यही तर्क देगा कि अगर उसे अंतरिम जमानत नहीं दी गई तो उसे नुकसान होगा.
ईडी ने कहा कि याचिकाकर्ती यानी अरविंद केजरीवाल ने जमानत की मुख्य वजह 2024 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करना बताया है. चुनाव आयोग बनाम मुख्तार अंसारी के 2017 फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने खुद कहा है कि चुनाव प्रचार कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है और न ही कानूनी अधिकार है. अब तक की जानकारी में किसी भी नेता को चुनाव प्रचार करने के लिए जमानत कभी नहीं दी गई है.
अरविंद केजरीवाल तो चुनाव भी नहीं लड़ रहे हैं. अगर कोई उम्मीदवार भी कस्टडी में होता तो भी उसे खुद के चुनाव प्रचार के लिए जमानत नहीं दी जा सकती. ईडी ने अपने हलफनामे में और तगड़ा तर्क देते हुए कहा कि 1977 के केंद्र सरकार बनाम अनुकुल चंद्रा प्रधान मामले में सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में रहे व्यक्ति को वोट देने के संवैधानिक अधिकार से भी वंचित कर दिया था ।