Varanàsi News : अनुसूचित जाति, के छात्रावासों एवं पुस्तकालयों को तोड़ने की साजिश करना, संविधान का अपमान : डॉ राजेश कुमार चौधरी

वाराणसी । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ० राजेश कुमार चौधरी, पूर्व महासचिव, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी एवं प्रान्तीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति एवं जनजाति विकास समिति ने शुक्रवार को पराड़कर स्मृति भवन, मैदागिन, वाराणसी में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि समाज कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ द्वारा अनुदानित एवं निजी प्रबन्ध तंत्र द्वारा संचालित विभिन्न जनपदों में अनुसूचित जाति के छात्रावासों एवं पुस्तकालयों की संख्या 160 थी, जिसमें पूर्व में ही छात्रावासों के कर्मचारियों का मानदेय/वेतन, भवन किराया, लीज रेन्ट, बिजली बिल, जलकल बिल, समाचार पत्रादि, अन्य व्यय, आकस्मिक व्यय मदों में आवर्तक अनुदान धनराशि का भुगतान नहीं होने के कारण 128 छात्रावास बन्द हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में समाज कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ द्वारा अनुदानित/सहायता प्राप्त मात्र 32 छात्रावास ही विभिन्न जनपदों में चल रहे हैं। श्री कुमार प्रशान्त (आई.ए.एस.) निदेशक, समाज कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश लखनऊ के पत्रांक संख्या: सी.58/स.क./शिक्षा ब/2024-25 दिनांक 12 अप्रैल 2024 के क्रम में 10 प्रारूप में मात्र चार मदों में जैसे-कर्मचारियों का वेतन/मानदेय, भवन किराया, विद्युत बिल, समाचार पत्रादि मदों आख्या/प्रस्ताव जिला समाज कल्याण अधिकारियों एवं जिला समाज कल्याण अधिकारियों (विकास) से मांग गयी है। पत्र में स्पष्ट निर्देश है कि इसके अतिरिक्त अन्य मदों में किसी धनराशि की मांग नहीं की जायेगी। वित्तीय वर्ष 2024- 25 करीब 6 माह हो रहा है, किन्तु अनुसूचित जाति के छात्रावासों एवं पुस्तकालयों को आवर्तक अनुदान धनराशि श्री कुमार प्रशान्त, निदेशक समाज कल्याण, उत्तर प्रदेश लखनऊ द्वारा आज तक जारी नहीं की गयी, जिससे छात्रावासों एवं पुस्तकालयों के संचालन में बहुत ही आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे अनुसूचित जाति एवं जनजाति, पिछड़ी जाति के हजारों छात्रों का भविष्य अंधेरे में जाता दिख रहा है। डॉ० चौधरी ने बताया कि श्री कुमार प्रशान्त, निदेशक समाज कल्याण, उत्तर प्रदेश अपने पत्रांक संख्या: सी. 1218/स.क./विकास/छात्रावास/62/2024-25 लखनऊ दिनांक 27.08.2024 द्वारा जिला समाज कल्याण अधिकारी एवं जिला समाज कल्याण अधिकारी (विकास) से जनपद वार क्रमशः सहारनपुर, मथुरा, मैनपुरी, बरेली, बदायूं, हमीरपुर, वाराणसी, गोरखपुर, मऊ, देवरिया, लखनऊ, औरैया, सीतापुर, फिरोजाबाद, सोनभद्र, सुल्तानपुर, मुरादाबाद कुल 17 जनपदों से समाज कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ द्वारा अनुदानित एवं निजी प्रबन्ध तंत्र द्वारा संचालित अनुसूचित जाति के छात्रावासों एवं पुस्तकालयों के सम्बन्ध में छात्रावासों की निरीक्षण आख्या/मंतव्य एक सप्ताह के अन्दर मांगी है, जो बिन्दुवार इस प्रकार है: (2) विभाग द्वारा अनुदानित छात्रावासों के अन्तवासी छात्रों को किसी नजदीकी राजकीय अनुसूचित जाति छात्रावासों में स्थानान्तरित किया जा सकता है अथवा नहीं ? यदि नहीं तो क्यों ?(3) छात्रों को स्थानान्तरित किये जाने पर छात्रावासों पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? शेष… पेज-2 परनिदेशक, समाज कल्याण, उत्तर प्रदेश लखनऊ श्री कुमार प्रशान्त का पत्र पढ़ने एवं अवलोकन से स्पष्ट हो जाता है कि माननीय मुख्यमंत्री जी, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ एवं समाज कल्याण राज्यमंत्री जी (स्वतंत्र प्रभार), उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ के मंशा एवं एजेंडों के विपरीत अनुसूचित जाति एवं जनजाति विरोधी होने के कारण वे अपने जातीय स्वभाव में आकर अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा पिछड़ी जाति के छात्रों को शिक्षा के क्षेत्र से वंचित करने के उद्देश्य से छात्रावासों को बन्द कर तोड़ना चाहते हैं। यह बाबा साहब डॉ० भीमराव अम्बेडकर जी के संविधान का खुला उल्लंघन एवं अपमान है. जो अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 एवं संशोधित 2015 के तहत दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आता है। देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में समाज कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ द्वारा अनुदानित तीन छात्रावास हैं जिसमें दो अनुसूचित जाति छात्रावास क्रमशः वीर आश्रम छात्रावास, अस्सी, वाराणसी, जगजीवन आश्रम छात्रावास, शिवाला, वाराणसी आर्वतक अनुदान धनराशि के अभाव में बन्द हो चुके हैं। नरेन्द्र कुमार शास्त्री, अनुसूचित जाति छात्रावास, कैण्ट-वाराणसी संचालित है, जिसको बन्द करने की साजिश चल रही है। शिक्षा, अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों तथा पिछड़ी जातियों के सुविधा हीन एवं गरीब छात्रों का मौलिक अधिकार है। अनुसूचित जाति के छात्रावासों में सैकड़ों-हजारों की संख्या में दलित, पिछड़ी जाति के गरीब छात्र निःशुल्क आवासीय सुविधा प्राप्त कर विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं इण्टर कालेजों में अध्ययनरत है एवं लगातार संघर्ष करके देश, प्रदेश के विभिन्न सरकारी सेवा के उच्च पदों पर जाते रहे हैं। अनुसूचित जाति के छात्रावासों एवं पुस्तकालयों को आई.ए.एस. प्रशान्त कुमार द्वारा दलित-पिछड़ा विरोधी तानाशाही आदेश निकालना न केवल उनकी जातिगत घृणित मानसिकता को दर्शाता है बल्कि आने वाले भविष्य में वे हजारों दलित पिछड़ी जाति के नौनिहालों के स्वर्णीम भविष्य को धूल में मिला देना चाहते हैं। यह संविधान की मौलिक संकल्पना समता, न्याय व बंधुत्व के खिलाफ है। डॉ० चौधरी ने देश के प्रधानमंत्री जी, भारत सरकार, नई दिल्ली, महामहिम राज्यपाल, उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ, मा० मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ, मा० समाज कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ को संबोधित पत्र तथा पृष्ठांकन प्रतिलिपि अन्य मा० मंत्रीगण एवं उच्चाधिकारियों को लिखकर अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा पिछड़ी जाति के छात्रों के हित में मांग किया है कि श्री कुमार प्रशान्त (आई.ए.एस.), निदेशक समाज कल्याण, उत्तर प्रदेश के पत्रांक सं. सी. 1218/स.क./विकास/छात्रावास /63/2024-25 लखनऊ दिनांक 27.08.2024 जारी पत्र को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाय तथा पूर्व की भॉति अनुसूचित जाति के छात्रावासों एवं पुस्तकालयों को अनुदान धनराशि स्वीकृत करके निर्गत किया जाय। जिससे अन्तवासी छात्रों की दिक्कतों का सामना न करना पड़े व उनका भविष्य उज्ज्वल हो।