काशी : अति प्राचीन सिद्धपीठ महादेवी काली मंदिर आस्था का केन्द्र : महंत अश्विनी पाण्डेय

रिपोर्टर शेखर पाण्डेय निष्पक्ष काशी न्यूज़
वाराणसी। मैदागिन क्षेत्र में स्थित महादेवी काली मंदिर एक प्राचीन और सिद्धपीठ के रूप में प्रसिद्ध है। इस मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण, काशी वैभव, और काशी खंड में स्थान को लुप्त बताया गया है। ये सिद्ध पीठ अति गुप्त स्थान है। जिसको जनमानस के कल्याण के लिए हम आज आपके सामने लेकर आ रहे हैं मंदिर में देवी महाकाली, काल भैरव की शक्ति स्वरूपा के रूप में पूजित हैं।

इतिहास और महत्व:
मंदिर प्राचीन काल में मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित था। यह वही क्षेत्र है जिसे आज मैदागिन कहा जाता है। मंदाकिनी नदी अब इतिहास बन चुकी है, लेकिन उसका एक छोटा जलाशय आज भी कंपनी गार्डन के मंदाकिनी कुंड के रूप में विद्यमान है। 1861 में अंग्रेजों ने इस क्षेत्र का पुनरुद्धार करते हुए कुंड को छोटा कर दिया और इसके पास कंपनी गार्डन बनाया।
मंदिर में पुराने समय में भक्त भोजपत्र पर अपनी मनोकामना लिखकर देवी के चरणों में अर्जी लगाते थे। यह परंपरा आज भी जारी है। लोग मानते हैं कि देवी महाकाली के दरबार में लगाई गई हर सच्ची अर्जी पूरी होती है।
स्थान:
यह मंदिर मैदागिन से काशी विश्वनाथ मंदिर मार्ग पर, आर्य समाज भवन के पीछे, एक गली में स्थित है।
आध्यात्मिक आयोजन:
मंदिर में नियमित पूजा-अर्चना के साथ विशेष अवसरों पर जैसे अमावस्या, कालाष्टमी, और अन्य पर्वों पर भव्य पूजन और अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त माता के चरणों में 108 नारियल की बली, श्रृंगार, फल-फूल, नैवेद्य और नारियल अर्पित करते हैं।
विशेषता:
माता के चरणों में अर्जी लगाने की परंपरा आज भी जीवंत है। भक्तों का विश्वास है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। यह सिद्धपीठ वाराणसी के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को और भी समृद्ध करता है।अश्वनी पाण्डेय
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