Varanàsi News : पराड़कर जयंती पर वक्ताओं के उद्गार , पराड़कर जी ने हिंदी भाषा और पत्रकारिता को समृद्ध व संस्कारित किया

वाराणसी, 07 नवम्बर। संपादकाचार्य बाबू राव विष्णु पराड़कर ने हिंदी भाषा और पत्रकारिता को समृद्ध व संस्कारित किया। उनकी पत्रकारिता राष्ट्रभक्ति और क्रांति धर्म से अनुप्राणित थी। निरंकुश अंग्रेजी साम्राज्य को निर्भीकता से चुनौती देने का सामर्थ्य पराड़कर जी के लेखों में उपलब्ध है। ये विचार गुरुवार को पराड़कर जयंती पर काशी पत्रकार संघ द्वारा पराड़कर स्मृति भवन में आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने व्यक्त किए। मुख्य वक्ता विधान परिषद सदस्य धर्मेंद्र राय ने कहा कि पराड़कर जी भारत, भारती और भारतीयता के समर्पित साधक थे।पत्रकारिता के सामाजिक दायित्व की वे समझ रखते थे। वे दूरदर्शी और स्पष्टवादी पत्रकार थे। देश के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक नवजागरण में उनके लेखन का महत्वपूर्ण स्थान था। समाजवादी चिंतक विजय नारायण ने पराड़कर जी को हिंदी पत्रकारिता के नवयुग का प्रवर्तक बताया।

प्रो. श्रद्धानंद ने कहा कि ऐसी पुण्य आत्माओं का स्मरण करने से ऊर्जा मिलती है। डा. महेंद्र तिवारी अलंकार ने पराड़कर जी की मूल्यपरक पत्रकारिता को रेखांकित किया। श्री योगेश कुमार गुप्त ने कहा कि पराड़कर जी का लेखन समाज को जोड़ने वाला था। सुभाष चंद्र सिंह ने कहा कि पराड़कर जी के व्यक्तित्व और कृतित्व से नई पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए। डा. कवींद्र नारायण ने कहा कि पराड़कर जी आजादी के समर्थक ही नहीं वरन योद्धा भी थे। भारतेंदु वंशज दीपेश चंद्र चौधरी ने कहा कि छोटे-छोटे वाक्यों से विषय को समृद्ध करना पराड़कर जी की विशिष्टता थी।

एके लारी ने पत्रकारिता में आसन्न संकट पर चिंता व्यक्त की। अध्यक्षता करते हुए संघ के अध्यक्ष डा. अत्रि भारद्वाज ने कहा कि पराड़कर जी की पत्रकारिता मानव समाज की दिशा निर्देशिका है। कार्यक्रम का संचालन संघ के महामंत्री अखिलेश मिश्र व धन्यवाद ज्ञापन वाराणसी प्रेस क्लब के अध्यक्ष श्री अरुण मिश्र ने किया। इस अवसर पर संघ के कोषाध्यक्ष सर्वश्री पंकज त्रिपाठी, राजनाथ तिवारी, कैलाश यादव, अरुण कुमार सिंह, मुन्नालाल साहनी, आशुतोष पांडेय, विमलेश चतुर्वेदी, डा. जयशंकर जय, रामजी वर्मा, राममिलन श्रीवास्तव व अजय यादव मुख्य रूप से उपस्थित थे।