
बेगूसराय । जिले के बरौनी प्रखंड क्षेत्र स्थित तिलरथ निवासी व जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष और भूमिहार समाज के कद्दावर नेता रतन सिंह का बुधवार को सुबह निधन हो गया । श्री सिंह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। निधन की सूचना मिलते ही जहां परिजनों में कोहराम मच गया है। वहीं, जिले भर में सन्नाटा पसर गया है। बता दे कि बुधवार सुबह लोगों को रतन सिंह के निधन की सूचना मिलते ही जिले के साथ राज्य भर से लोग श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंच रहे हैं।बेगूसराय के सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने उनके निधन को अपूर्णीय क्षति बताया है। गिरिराज सिंह ने कहा है कि सामाजिक सरोकारों में अग्रणी, बेगूसराय जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष रतन सिंह का असामयिक निधन अत्यंत दुःखद है।
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके परिवार को इस दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करे।रतन सिंह न केवल जिला परिषद और भूमिहार समाज के सर्वमान्य नेता रहे, बल्कि हुई जलेवार सेवा समिति और बिहार टैंकर एसोशिएशन के भी अध्यक्ष थे। बरौनी रिफाइनरी से जुड़े टैंकर संचालकों के हित के लिए हुए लगातार समर्पित रहे। उनकी सभी जाति धर्म और पार्टी में एक अलग पहचान थी। आरजेडी से जुड़े रतन सिंह के दामाद रजनीश कुमार एमएलसी और बीजेपी के राष्ट्रीय मंत्री भी बने। अपने समय में काफी चर्चित रहे रतन सिंह को 2000 में जिला बदर घोषित कर दिया गया था। लेकिन 2001 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में वह मजबूती से उभरे और जिला पार्षद का चुनाव जीतने के बाद रतन सिंह अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ गए और सीपीआई प्रत्याशी के खिलाफ एक साथ राजद और भाजपा से जुड़े जिला पार्षदों का समर्थन जुटा लिया तथा जिला परिषद अध्यक्ष बने।2001 से 2006 तक जिला परिषद के अध्यक्ष रहे।
2006 में जिला परिषद अध्यक्ष की सीट महिला हो जाने के बाद उन्होंने अपनी पत्नी वीणा देवी को राजनीति में उतारा और 2006 से 2011 तक वीणा देवी जिला परिषद की अध्यक्ष रही। उसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी को भले ही जिला परिषद अध्यक्ष नहीं बनाया, लेकिन जिला परिषद की राजनीति किस तरीके से चलेगी, उसका लगातार नेतृत्व किया। रतन सिंह को बतौर जिला परिषद अध्यक्ष पूरे जिला में अपना प्रभाव फैलाने का मौका मिला इसलिए उन्होंने पिछले दो दशक में जिला परिषद की राजनीति नहीं छोड़ी। अभी के जिला परिषद अध्यक्ष सुरेन्द्र पासवान भले ही बीजेपी से जुड़े हैं, लेकिन वह भी रतन सिंह के सहयोग से ही अध्यक्ष बने थे।राजनीति से पहले बाकी बाहुबली नेताओं की तरह रतन सिंह पर भी कई तरह के केस-मुकदमे हुए और तमाम तरह के आरोप लगे जो कोर्ट में साबित नहीं हो सके। 1990 में बिहार का सबसे बड़े डॉन अशोक सम्राट हुआ करता था। रतन सिंह अशोक सम्राट का दाहिना हाथ हुआ करते थे।
अशोक सम्राट भी रतन सिंह से सलाह मशविरा के बाद ही कोई बड़ा काम करता था। अशोक सम्राट की पुलिस मुठभेड़ में मौत के बाद रतन सिंह राजनीति में कदम रखा।राजद अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को सोने का मुकुट पहनाकर बेगूसराय के बाहुबली नेता रतन सिंह ने बिहार के राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी थी। जब रतन सिंह राजनीति में आए उस समय मंत्री श्रीनारायण यादव जिले में राजद के गार्जियन कहे जाते थे। दूसरी तरफ डॉ. भोला सिंह थे। दोनों का समर्थन रतन सिंह को मिला। विरोध में रह गई सीपीआई का साथ भी आगे चलकर मिल गया। 2004 के लोकसभा चुनाव में बलिया लोकसभा सीट के लिए राजद के दो नाम चल रहे थे उसमें एक नाम मंत्री श्रीनारायण यादव के पुत्र सदानंद संबुद्ध उर्फ ललन यादव का एवं दूसरा रतन सिंह का ही था।