Varanàsi : पर्यावरण की अदालत” ने चेताया: गंगा और सहायक नदियों का संरक्षण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी

वाराणसी, 20 नवंबर: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी), जिसे पर्यावरण की अदालत भी कहा जाता है, ने गंगा और उसकी सहायक नदियों के संरक्षण के प्रति देश की जनता को अपनी जिम्मेदारी निभाने का आह्वान किया है। एनजीटी समय-समय पर जिलाधिकारियों के माध्यम से जनता को यह संदेश देता है कि हमें पर्यावरण के प्रति अपनी सोच और व्यवहार में बदलाव लाना होगा।
गंगा किनारे बढ़ते जनसंख्या दबाव और प्रदूषण को लेकर एनजीटी ने चिंता व्यक्त की है। वाराणसी जैसे शहर में प्रतिदिन लाखों पर्यटकों का आगमन, मल-जल और कचरे का बढ़ता बोझ गंगा के लिए एक गंभीर चुनौती है। इस संदर्भ में नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक और नगर निगम के स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर, गंगा सेवक राजेश शुक्ला, पिछले 11 वर्षों से काशी के घाटों पर स्वच्छता अभियान चला रहे हैं।
गंगा प्रदूषण पर गंगा सेवक की अपील
अस्सी घाट पर सफाई अभियान के दौरान, राजेश शुक्ला ने गंगा में विसर्जित कचरे, शीशा लगी तस्वीरों, पॉलिथीन और अन्य प्रदूषणकारी सामग्रियों को उठाते हुए जनता से अपील की। उन्होंने कहा कि गंगा और उसकी सहायक नदियों को स्वच्छ रखने के लिए नमामि गंगे परियोजनाओं के तहत महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं, जिनमें गंगा बेसिन क्षेत्र में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण प्रमुख है।
उन्होंने कहा, “सरकार की पहल के साथ-साथ जनता की नैतिक जिम्मेदारी है कि वे गंगा को प्रदूषित न करें और अतिक्रमण से बचें। प्रशासन ने प्रदूषण फैलाने वालों और अतिक्रमणकारियों पर भारी जुर्माने का प्रावधान रखा है, लेकिन जनता को असुविधा न हो, इसलिए सख्त कार्रवाई से बचा जाता है।”
गंगा को राष्ट्रीय संपत्ति समझें
गंगा सेवक ने जनता से गंगा को राष्ट्रीय संपत्ति समझने और उसे नुकसान न पहुंचाने की अपील की। उन्होंने कहा कि गंगा का स्वच्छ और प्रदूषण-मुक्त रहना न केवल पर्यावरण बल्कि समाज और संस्कृति के लिए भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने आग्रह किया कि हर व्यक्ति अपनी भूमिका निभाते हुए गंगा को स्वच्छ और सुरक्षित बनाए।
यह चेतावनी और अपील पर्यावरण संरक्षण और गंगा स्वच्छता के प्रति एक नई जागरूकता की ओर इशारा करती है। गंगा की शुद्धता न केवल प्रशासन की, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है।