वाराणसी : स्वामी बाणेश्वरानन्द तीर्थ: सनातन धर्म के निष्ठावान सेवक और दंडी सन्यासी समाज के मार्गदर्शक

लम्बे समय तक दंडी सन्यासी समाज के अध्यक्ष रहे स्वामी बाणेश्वरानन्द तीर्थ साढ़े चार सौ वर्ष से भी प्राचीन है कामरूप मठ
वाराणसी। स्वामी बाणेश्वरानन्द तीर्थ ने अपना संपूर्ण जीवन सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार और दंडी सन्यासी समाज की सेवा में समर्पित कर दिया। काशी के बंगीय समाज में वे एक आदरणीय गुरु के रूप में पूजे जाते थे। यह विचार गुरुवार को दशाश्वमेध स्थित कामरूप मठ में आयोजित ब्रह्मलीन स्वामी बाणेश्वरानन्द तीर्थ के षोडशी व धर्म सभा सम्मान कार्यक्रम में मुख्य अतिथि काशी सुमेरु पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानन्द सरस्वती महाराज ने व्यक्त किए।
स्वामी नरेंद्रानन्द सरस्वती ने कहा कि स्वामी बाणेश्वरानन्द तीर्थ लम्बे समय से बीमार चल रहे थे और उनके निधन से सनातन धर्म को गहरा आघात पहुँचा है। कार्यक्रम की शुरुआत में स्वामी जी का तिथि पूजन हुआ, इसके बाद मठ में विराजमान प्राचीन शिवलिंग का रुद्राभिषेक किया गया। फिर धर्म सभा और षोडशी पूजन का आयोजन हुआ।
मठ के महंत स्वामी शुद्धानंद महाराज ने बताया कि शुक्रवार, 21 मार्च को सायंकाल मठ में विद्वत सभा का आयोजन होगा। इस अवसर पर स्वामी बिमलदेव आश्रम (मछली बंदर मठ), स्वामी प्रणव आश्रम (मधुसूदन मठ), स्वामी ओकास आश्रम (चौसट्ठी मठ) सहित स्वामी जितेन्द्रानन्द और स्वामी रामानंद सरस्वती जैसे संतों ने अपने विचार व्यक्त किए और श्रद्धांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम का संचालन और आगतों का स्वागत स्वामी बाणेश्वरानन्द तीर्थ के प्रिय शिष्य और वर्तमान मठ के महंत स्वामी शुद्धानंद तीर्थ महाराज ने किया।
इस अवसर पर डॉ. पवन कुमार शुक्ला, स्वामी जयंत, स्वामी मोनिदीपाचार्य सहित मठ से जुड़े अनेक प्रांतों से आए सैकड़ों शिष्यगण उपस्थित थे।