दिल्ली

लोकतांत्रिक व्यवस्था पश्चिमी लोकतंत्र की अवधारणा से कही अधिक पुरानी है,इसलिए भारत को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है : राष्ट्रपति

नई दिल्ली । गणतंत्र दिवस के अवसर पर गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए अपने संबोधन में
कहा कि यह एक युगांतरकारी परिवर्तन का कालखंड है. हमें अपने देश को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का सुनहरा अवसर मिला है । राष्ट्रपति ने आगे कहा कि हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक नागरिक का योगदान महत्वपूर्ण होगा. इसके लिए मैं सभी देशवासियों से संविधान में निहित हमारे मूल कर्तव्यों का पालन करने का अनुरोध करूंगी. ये कर्तव्य आजादी के 100 वर्ष पूरे होने तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में प्रत्येक नागरिक के आवश्यक दायित्व हैं । उन्होंने कर्पूरी ठाकुर का जिक्र करते हुए कहा कि मैं यह उल्लेख करना चाहूंगी कि सामाजिक न्याय के लिए अनवरत युद्धरत रहे कर्पूरी ठाकुर जी की जन्म शताब्दी का उत्सव कल ही संपन्न हुआ है । कर्पूरी जी पिछड़े वर्गों के सबसे महान पक्षकारों में से एक थे जिन्होंने अपना सारा जीवन उनके कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था. उनका जीवन एक संदेश था. अपने योगदान से सार्वजनिक जीवन को समृद्ध बनाने के लिए मैं कर्पूरी जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं । राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि हमारे गणतंत्र का पचहत्तरवां वर्ष कई अर्थों में देश की यात्रा में एक ऐतिहासिक पड़ाव है. राष्ट्र अमृत काल के प्रारंभिक वर्षों में है और यह एक युगांतरकारी परिवर्तन का समय है. उन्होंने आगे कहा, ”लोकतांत्रिक व्यवस्था पश्चिमी लोकतंत्र की अवधारणा से कहीं अधिक पुरानी है, इसीलिए भारत को ‘लोकतंत्र की जननी’ कहा जाता है’राष्ट्रपति ने कहा कि मैं देश को शुभकामनाएं देती हूं. कल के दिन हम संविधान के प्रारंभ का उत्सव मनाएंगे. संविधान की प्रस्तावना हम लोग से शुरू होती है. ये शब्द हमारे संविधान के मूल भाव को रेखांकित करते हैं ।

Advertisements

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button