राष्ट्रीय

Jammu: आतंकवादी और पत्थरबाज के परिवार के किसी सदस्य को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी : अमित शाह

जम्मू कश्मीर । केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने सख्त संदेश देते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर में यदि कोई भी आतंकवादी संगठन में शामिल होता है,या पत्थरबाज के परिवार के सदस्यों को कोई सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। शाह ने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने न केवल आतंकवादियों को निशाना बनाया है, बल्कि आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र को भी खत्म कर दिया है। इससे प्रदेश में आतंकवादी घटनाओं में भारी गिरावट आई है।

Advertisements

शाह ने कहा कि कुछ मानवाधिकार कार्यकर्ता फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए लेकिन अंत में सरकार की जीत हुई। गृह मंत्री ने कहा कि अगर किसी परिवार का कोई व्यक्ति आगे आता है और अधिकारियों को सूचित करता है कि उसका करीबी रिश्तेदार आतंकवादी संगठन में शामिल हो गया है तो ऐसे परिवार को राहत दी जाएगी।अमित शाह ने कहा, पहले कश्मीर में किसी आतंकवादी के मारे जाने पर अंतिम संस्कार के समय जुलूस निकाला जाता था।

उन्होंने कहा, “हमने इस प्रवृत्ति को रोक दिया है। हमने यह सुनिश्चित किया है कि आतंकवादी को सभी धार्मिक औपचारिकताओं के साथ दफनाया जाए, लेकिन एक अलग जगह पर।’गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब कोई आतंकवादी सुरक्षा बलों से घिरा होता है तो सबसे पहले उसे आत्मसमर्पण करने का मौका दिया जाता है। और ‘हम उसकी मां या पत्नी जैसे परिवार के करीबी सदस्यों को बुलाया जाता है। उनसे आतंकवादी से आत्मसमर्पण करने की अपील करने के लिए कहा जाता है।

अगर वह (आतंकवादी) नहीं मानता है, तो अगली कार्रवाई की जाती है।’ केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) के माध्यम से हमने टेरर फंडिंग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है और इसे खत्म किया है। हमने टेरर फंडिंग पर बहुत सख्त रुख अपनाया है।’
प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के मामले में शाह ने कहा कि सरकार ने इसके द्वारा आतंकवादी विचारधारा के प्रकाशन और प्रसार पर प्रतिबंध लगा दिया है।

केरल में स्थापित मुस्लिम कट्टरपंथी समूह पीएफआई को आतंकवादी गतिविधियों के साथ कथित संबंधों को लेकर सितंबर 2022 में केंद्र द्वारा गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया था।केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2018 में जम्मू-कश्मीर में 228 आतंकवादी घटनाएं हुईं और 2023 में यह संख्या घटकर लगभग 50 रह गई।

2018 में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच 189 मुठभेड़ें हुईं और 2023 में यह घटकर लगभग 40 रह गईं। 2018 में विभिन्न आतंकवादी घटनाओं के कारण 55 नागरिक मारे गए। 2023 में यह संख्या घटकर लगभग पांच हो गई। 2018 में, जम्मू-कश्मीर में आतंकी हिंसा में कुल 91 सुरक्षाकर्मी मारे गए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button