उत्तर प्रदेशवाराणसी

Varanàsi : भारतीय पुरातत्व विभाग ने किया सारनाथ शिलापट्ट संशोधन, स्वतंत्रता सेनानी बाबू जगत सिंह को मिला सम्मान

शेखर पाण्डेय निष्पक्ष काशी न्यूज़

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वाराणसी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, नई दिल्ली ने सारनाथ स्थित धर्मराजिका स्तूप के शिलापट्ट से ब्रिटिश हुकूमत द्वारा उल्लिखित बाबू जगत सिंह से संबंधित गलत तथ्यों को संशोधित कर नया शिलापट्ट स्थापित किया है। यह संशोधन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबू जगत सिंह शोध समिति की लगातार मेहनत और देशभर के शिक्षाविदों के पत्राचार का परिणाम है।

इस कार्य को वाराणसी गाइड एसोसिएशन और काशीवासियों ने ऐतिहासिक बताया। शोध समिति के संरक्षक बाबू प्रदीप नारायण सिंह ने इसे स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम शहीदों का सम्मान बताया। उन्होंने कहा कि यह शिलापट्ट केवल बाबू जगत सिंह ही नहीं, बल्कि सभी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की वीरता और बलिदान को श्रद्धांजलि है।

गाइड एसोसिएशन ने जताया आभार
वाराणसी गाइड एसोसिएशन के संरक्षक अशोक आनंद ने पुरातत्व विभाग की इस पहल को मील का पत्थर बताया। एसोसिएशन के अन्य प्रमुख सदस्यों ने विभाग को इस संशोधन के लिए धन्यवाद दिया। गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष अखिलेश कुमार, टी.जी.ए. अध्यक्ष राजेंद्र पांडे, एस.ए.टी.जी.ए. अध्यक्ष राजेश्वर सिंह, ए.टी.जी.ए. अध्यक्ष विक्रम मेहरोत्रा ने भी अपने विचार साझा किए।

प्रकाशित शोध और अन्य उपलब्धियां
शोध समिति द्वारा इस मुद्दे पर प्राप्त प्रमाणिक दस्तावेजों के आधार पर डॉ. ए.एच.ए. कुरैशी और डॉ. श्रेया पाठक ने “बनारस के विस्मृत जननायक बाबू जगत सिंहः 1799, भारतीय स्वतंत्रता की अलकही गाथा” पुस्तकें प्रकाशित की हैं। इसके अलावा, अक्टूबर में “शहीद बाबू जगत सिंह द्वार” का लोकार्पण उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल ने किया।

सम्मान समारोह
इस अवसर पर समिति ने पुरातत्व विभाग और गाइड एसोसिएशन के पदाधिकारियों को अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में त्रिपुरारी शंकर, डॉ. राम सुधार सिंह, राणा पी.वी. सिंह, अरविंद कुमार सिंह (एडवोकेट), राजेंद्र कुमार दुबे, विकास, शमीम, और अमित सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

समिति का संदेश
शोध समिति के संरक्षक ने पुरातत्व विभाग, धर्माचार्यों, इतिहासकारों, समाजसेवियों, मीडिया, और अन्य सभी सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए इस संशोधन को सत्य और शहीदों के सम्मान का प्रतीक बताया।

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