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Varanasi News: बाबा धाम में ,दक्षिण भारत से आए दस विद्वानों द्वारा त्रिदिवसीय सुस्वर वेद पारायण किया गया

वाराणसी 28 अप्रैल । दक्षिण भारत से आए विद्वानों द्वारा लोक कल्याण हेतु श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रांगण में समावेद के कौथुम शाखा के मंत्रो का गत तीन दिन से नियमित त्रिदिवसीय सुस्वर वेद पारायण किया गया । इस अवसर पर विद्वानों ने वेदानां सामवेदोऽस्मी। वेद अपौरूषेय है, परब्रह्म द्वारा अपर रूप में ब्रह्मदेव वेदों को स्मरण कर सृष्टि की रचना करते हैं ऐसा सनातन संस्कृति का विश्वास है।

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सनातन ज्ञानधारा में यह विश्वास किया जाता है कि वेद और संगीत अपर ब्रह्म रूप में ईश्वर अथवा भगवान के दो नेत्र हैं। सनातन आध्यात्म श्रृंखला में चार वेद मान्य हैं। वेद पाठ तथा वैदिक मंत्रोच्चार को ब्रह्मसाधना तथा लोक कल्याण की आवृत्ति उत्पन्न करने वाली ध्वनि साधना कहा गया है। आधुनिक मनोविज्ञान एवं चिकित्सा जगत में भी वैदिक मंत्र गायन से उत्पन्न ध्वनि आवृत्तियों के मनोचिकित्सा एवं क्रोनिक बीमारियों के निदान में सकारात्मक प्रभाव आज एक स्वीकार्य वैज्ञानिक तथ्य है।

सनातन संस्कृति में देवालय ज्ञान, विज्ञान, कला, संस्कृति एवं लोक कल्याण की समस्त गतिविधियों के आश्रयदाता एवं पालक रहे हैं। श्री काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर प्राचीन मंदिरों के आधुनिक स्वरूप का प्रथम दृष्टांत है। अतः श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास प्राचीन परंपरा एवं स्वरूप को पुनरोज्जीवित करने का भी कार्य प्रारंभ कर रहा है । श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास इन विद्वानों के शुभ की कामना करता है और महादेव की कृपा से वैदिक प्रज्ञा का लाभ समस्त मानवता को प्राप्त होगा यह श्री विश्वनाथ जी से प्रार्थना करता है।

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