Varanasi : षष्ठम दिवस की कथा में कलियुग के अंत और सतयुग के आगमन का वर्णन

Shekhar pandey
वाराणसी। नाटी इमली स्थित पंचायती बाग परिसर मे चल रहे सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के षष्ठम दिवस डॉ पंडित काशी नाथ मिश्रा ने भागवत एवं भविष्य मालिका कथा का वर्णन करते हुए बताया विगत 40 वर्षों से ताड़ पत्रों पर 600 वर्ष पूर्व प्राचीन ओडिया लिपि में, पंच सखाओं द्वारा लिखी, 1,85,000 ग्रंथों पर अनवरत शोध कर रहे हैं जो युग परिवर्तन, खंड प्रलय, कलयुग के अंत, सतयुग के आरंभ और भक्तों की सुरक्षा के बारे में विस्तार से लिखा है। चतुर्युगी चक्र में धर्म बल क्रमशः सतयुग से कलियुग तेजी से घटता ज रहा है। कलियुग में लोग धर्मविहीन, चरित्र विहीन, स्वास्थ्य विहीन हो जायेंगे।
आपसी संबंधियों की सुचिता नहीं रहेंगी, घर-घर कलह और हिंसा व्याप्त होगी। मातृ हत्या, पितृ हिंसा, गौ हत्या कलियुग में आम होगी। इसी लिए दशावतारों में सबसे शक्तिशाली अवतार 64 कलाओं के साथ कल्कि अवतार इस कलियुग में होता है। उन्होने कहा जब रवि ओर चंद्र एक सीध में पुष्य नक्षत्र में आयेगा तो कलियुग का अंत निश्चित मानो। मंदिर से विशाल पत्थर गिरेगा, मंदिर की ध्वजा बार बार उड़ जाएगा, प्राचीन पवित्र वट वृक्ष की डालियों का अनायास टूटना, रत्न चंदोवा में आग लगना, मंदिर परिसर में पुजारी और भक्त की मृत्यु होना, नील चक्र पर गिद्ध पक्षी का बैठना, प्रभु की रसोई पर वज्राघात होने आदि अनेकों कलियुग के अंत का संकेत मिल चुका है।
विगत पांच वर्षो में विश्व जिस प्रकार जैविक, प्राकृतिक, आपदाएं , नित्य विस्तार लेता युद्ध, अनिश्चितता भरा राजनीतिक वातावरण, गहराती आर्थिक मंदी हमे एक भयावह भविष्य की और संकेत कर रहा है। यह सब भविष्य मालिका में पूर्व वर्णित है जो एक-एक करके प्रमाणित हो रहा है। कथा स्थल पर प्रदेश के आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालू पहुंचे, महाराज जी ने उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया।