वाराणसी में ज्योतिष ज्ञान शिविर का समापन, राष्ट्रीय सुरक्षा में ज्योतिष के योगदान पर विचार

वाराणसी, 28 दिसंबर 2024। धर्म, कर्म, पाप और पुण्य की अवधारणाएं व्यक्तिगत विश्वास पर आधारित हैं, लेकिन वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से ज्योतिष को सर्वोपरि विज्ञान माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र को मानने या न मानने का निर्णय व्यक्तिगत अनुभव और विश्वास पर निर्भर करता है, लेकिन इसे मार्गदर्शन और सचेत करने वाली विद्या के रूप में देखा जाए तो यह कई लोगों के लिए उपयोगी हो सकती है। राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से भी इस पर शोध होना चाहिए।
यह बातें शनिवार को दशाश्वमेध स्थित शास्त्रार्थ महाविद्यालय में आयोजित एक महीने तक चले ज्योतिष ज्ञान शिविर के समापन अवसर पर ज्योतिषाचार्य आचार्य संजय उपाध्याय ने कही। उन्होंने कहा कि देश और राष्ट्रीय सुरक्षा में भी इस विज्ञान का सहारा लिया जा सकता है, और इसके लिए प्रयास जारी हैं।
मुख्य अतिथि केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित कमलाकांत उपाध्याय ने अपने संबोधन में कहा कि ज्योतिष हमें भविष्य में होने वाली शुभाशुभ घटनाओं के लिए तैयार कर सकता है। जीवन में घटनाएँ समय के अनुसार घटित होती हैं, भले ही हम ज्योतिष शास्त्र को मानें या न मानें, परंतु इसके ज्ञान से आत्म अनुशासन प्राप्त किया जा सकता है।
कार्यक्रम की शुरुआत में राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त पूर्व प्राचार्य डॉ. गणेश दत्त शास्त्री और वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद नारायण मिश्र ने माँ वाग्देवी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन किया। इसके बाद संस्था के बटुकों ने सामूहिक रूप से मंगलाचरण का पाठ किया।
संस्था के प्राचार्य डॉ. पवन कुमार शुक्ल ने बताया कि यह शिविर पिछले एक महीने से निःशुल्क चल रहा था, जिसमें 60 से अधिक बच्चों ने भाग लिया और पंचांग व कुंडली निर्माण की बारीकियों को सीखा। शिविर के समापन के अवसर पर इन प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।
महाकुंभ के बाद, फरवरी माह में एक बड़ा ज्योतिष सम्मेलन आयोजित करने की योजना है, जिसका शीर्षक “राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि में ज्योतिष शास्त्र” होगा। इस सम्मेलन में देशभर के ज्योतिषविदों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी और ज्योतिष के माध्यम से कई अनसुलझे प्रश्नों का समाधान किया जाएगा।
कार्यक्रम में विशेष अतिथि वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद नारायण मिश्र ने कहा कि समाज के उत्थान के लिए जनेऊधारी ब्राह्मणों को ज्योतिष शास्त्र और पंचांग का ज्ञान होना आवश्यक है। अध्यक्षता डॉ. गणेश दत्त शास्त्री ने की। अन्य प्रमुख व्यक्तियों में ज्योतिषाचार्य डॉ. आमोद दत्त शास्त्री, सुत्तिमय दास डॉ. देवदूत (कोलकाता), डॉ. अशोक पाण्डेय, विकास दीक्षित, पं. रामलखन पाठक, आचार्य विशाल औढ़ेकर आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि पंडित कमलाकांत उपाध्याय ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए।