Varanàsi : भारतीय सनातन संस्कृति का मुख्य संवाहक श्रीमद् भागवत ही है : पंडित संजय कृष्ण शास्त्री

निष्पक्ष काशी
वाराणसी । भारत भारती परिषद के तत्वावधान में बीसुजी मंदिर मैदागिन में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञानयज्ञ शास्त्र पीठाधीश्वर गोस्वामी श्री श्याम मनोहर जी महाराज की अध्यक्षता में भक्तों की अपार जनसमूह की उपस्थिति में सोमवार को सोल्लस संपन्न हुआ। व्यास पीठ पर विराजमान श्री राम वृंदावन के पंडित संजय कृष्ण शास्त्री जी एवं उपस्थित वैष्णव जनों का स्वागत संस्था के अध्यक्ष अशोक बल्लभदास ने किया। भागवत व्यास पीठ का पूजन अर्चन एवं आरती श्री दिनेश रामनारायण जी ने सपरिवार किया। सत्संग की महिमा का वर्णन करते हुए श्री व्यास जी ने कहा कि सत्संग के अभाव में ही आज की युवा पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति से दिग्भ्रमित हो रही है और भारतीय उच्च सनातन संस्कृति से अनभिज्ञ हो रही है। इसीलिए आज युवा वर्ग में चारित्रिक मूल्य का अभाव दिख रहा है। इस सनातन संस्कृति का पुनर्जागरण गीता भागवत और रामायण के द्वारा ही संभव है इसके लिए गुरुकुल की प्राचीन शिक्षा पद्धति को पुनर्स्थापित करना होगा।

जिससे मैं कल की पाश्चात्य शिक्षा का निर्माण हो सके। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने उज्जैन के सांदीपनी आश्रम में रहकर गुरुकुल शिक्षा ग्रहण किया। सुदामा चरित्र का बहुत ही मार्मिक वर्णन करते हुए व्यासजी ने कहा जो अच्छे सनातन संस्कारों से बना हो वही साक्षात सुदामा है। इसी सनातन संस्कृति के उच्च आदर्शों का पालन ही श्रीमद् भागवत है। इस अवसर पर व्यास पीठ से विशिष्ट जनों में सर्वश्री अशोक बल्लभदास, नटवर शुक्ला, राकेश तिवारी और राजीवन द्रविड़, श्याम नारायण, रामदास, दिनेश राम नारायण, विनोद यादव, कैलाश यादव, भोला यादव, राजेश, अमरनाथ, काशीनाथ, सुभाष, संजय गुप्ता, दीपक अग्रवाल, संतोष अग्रवाल, राजीव चौरसिया आदि को सम्मानित किया गया। अंत में समस्त वैष्णवजनों ने भारत भारती परिषद द्वारा आयोजित भागवत कथा के प्रसाद का रसास्वादन करते हुए वज्र की होली गीत के नृत्य संगीत से मंत्र मुग्ध कर दिया। समस्त भक्तों को महाप्रसाद का वितरण किया गया। धन्यवाद प्रकाश डा. जयशंकर जय ने किया।