Varanasi : सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय का 68वां स्थापना दिवस धूमधाम से संपन्न

Shekhar pandey
वाराणसी: सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी का 68वां स्थापना दिवस भव्य यज्ञ-पूजन और विभिन्न कार्यक्रमों के साथ उत्साहपूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर सम्वत्सरव्यापी चतुर्वेद विश्वकल्याण महायज्ञ की पूर्णाहुति की गई, जिसमें वेदपाठी ब्राह्मणों, आचार्यों, विद्वानों और विश्वविद्यालय परिवार के सदस्यों ने सहभागिता की।
वैदिक महायज्ञ का समापन एवं कुलपति का उद्बोधन
समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने यज्ञ की वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह आयोजन वैदिक परंपरा और भारतीय ज्ञान-संस्कृति को सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यज्ञ में चारों वेदों—ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद—का संगीतमय पाठ किया गया, जिससे संपूर्ण वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से ओत-प्रोत हो गया।

यज्ञ के आयोजन में उद्योगपति श्री आर. के. चौधरी, श्री ऋषभ जैन, श्री अशोक अग्रवाल, श्री राजेश भाटिया सहित अनेक समाजसेवियों का सक्रिय सहयोग रहा।
शक्ति समाराधन एवं सांस्कृतिक आयोजन
स्थापना दिवस पर प्रातः “शक्ति समाराधन” कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें दुर्गासप्तशती पाठ और गौरी-गणेश पूजन के माध्यम से विश्वविद्यालय परिवार और राष्ट्र कल्याण की कामना की गई। पूरे परिसर में शहनाई की मधुर ध्वनि और हवन की सुगंध से वातावरण भक्तिमय हो गया।

कुलपति द्वारा आचार्यों एवं अधिकारियों का सम्मान
इस विशेष अवसर पर कुलपति प्रो. शर्मा ने विश्वविद्यालय के आचार्यों और अधिकारियों को चंदन, अंगवस्त्र और मिष्ठान प्रदान कर सम्मानित किया।
वैदिक ज्ञान परंपरा को सशक्त बनाने की पहल
समारोह में यह घोषणा की गई कि विश्वविद्यालय भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ावा देने के लिए भविष्य में भी ऐसे आयोजनों का विस्तार करेगा। विश्वविद्यालय के ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र के माध्यम से विभिन्न पाठ्यक्रमों जैसे ज्योतिष, वास्तु, वेद, योग, वेदांत, संस्कृत भाषा और मंदिर प्रबंधन को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा दिया जा रहा है।
01 अप्रैल से 15 मई तक विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रारंभ किए जाएंगे।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
इस आयोजन में प्रो. रामपूजन पांडे, प्रो. सुधाकर मिश्र, प्रो. शैलेश मिश्र, प्रो. महेंद्र पांडे, प्रो. हरिशंकर पांडे, प्रो. दिनेश गर्ग, प्रो. विजय कुमार पांडे सहित कई विद्वान, छात्र, कर्मचारी और समाजसेवी उपस्थित रहे।
संक्षिप्त इतिहास
सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना 1791 में ‘शासकीय संस्कृत महाविद्यालय’ के रूप में हुई थी। 1958 में इसे विश्वविद्यालय का दर्जा मिला और 1974 में इसका नाम बदलकर सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय कर दिया गया। यह विश्वविद्यालय संस्कृत, संस्कृति और सनातन धर्म के संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
उपसंहार
सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस समारोह वैदिक परंपरा, भारतीय संस्कृति और ज्ञान-परंपरा के संरक्षण के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित हुआ। विश्वविद्यालय भविष्य में भी ऐसे आयोजनों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध रहेगा।