गंगा की निर्मलता के लिए जनभागीदारी अनिवार्य: महामण्डलेश्वर कल्किराम महाराज

Shekhar pandey
वाराणसी। गुरुदेव दत्त परंपरा की पीठ आदिनाथ संप्रदाय के पीठाधीश्वर एवं हिंदू जोड़ो यात्रा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महामण्डलेश्वर श्री श्री श्री 1008 डॉ कल्किराम महाराज ने गुरुवार को वाराणसी में कहा कि मां गंगा के उद्गम स्थल गंगोत्री से लेकर गंगासागर तक गंगा के किनारे 118 शहरों से लगभग 363 करोड़ लीटर अपशिष्ट और 764 उद्योगों के प्रदूषण तत्व गंगा में मिलते हैं, जिसे रोकने लिए अब तक के प्रयास नाकाम रहे हैं। 58 संसदीय क्षेत्र गंगा के किनारे हैं । लगभग 30 साल में गंगा निर्मलीकरण के नाम पर हजारों करोड रुपए खर्च हो चुके हैं लेकिन गंगा के निर्मल प्रवाह के लिए अब तक के सारे प्रयास ना काफी साबित हुए हैं। गंगा एक्शन प्लान के तीन चरणों में और नमामि गंगे अभियान के बाद भी गंगा में सीवेज नालों का पानी मिलने से नहीं रोका जा सका। जबकि 2014 के बाद से सरकार ने 20000 करोड रुपए इसके लिए जारी किए हैं। राष्ट्रीय नदी गंगा विधेयक ड्राफ्ट में गंगा संबंधी मुद्दों की देखरेख के लिए एक प्रबंध तंत्र विकसित करने गंगा के निर्वाध प्रवाह की निरंतरता बनाए रखने तथा अनेक अवैधानिक गतिविधियों पर रोकथाम के प्रावधान है। सशस्त्र गंगा संरक्षण बल तो है ही, गंगा कानून के उल्लंघन पर गिरफ्तारी व 5 साल की सजा और 50 करोड रुपए तक के भारी जुर्माना का प्रावधान है। लेकिन इस पर अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आ सके। जब तक गंगा में सीवेज की गंदगी और औद्योगिक कचरे को नहीं रोका जाएगा तब तक गंगा इसी प्रकार प्रदूषित रहेगी। मेरा व्यक्तिगत रूप से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विशेष अनुरोध है कि इस पर विशेष ध्यान देकर माता गंगा को स्वच्छ एवं निर्मल करने के लिए सम्पूर्ण भारत वर्ष को आह्वान करें और सभी भारतवासियों की भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रयास करें । जब तक भारत का प्रत्येक नागरिक इस अभियान में नहीं जुड़ेगा तब तक गंगा का निर्मलीकरण संभव नहीं है। आप इसके लिए लंदन की टेम्स नदी का उदाहरण ले सकते हैं जहां नदी को बचाने के लिए हजारों युवक युवतियां, बुजुर्ग निकल पड़े और नदी को पूरी तरह साफ कर दिया। एक समय भयंकर प्रदूषण और दुर्गंध के कारण इंग्लैंड की संसद को लंबे समय तक अपना कामकाज बंद करना पड़ा था वही टेम्स नदी आज पीने के पानी का सबसे बड़ा स्रोत है और नदी का पानी भी एकदम पारदर्शी हो चुका है। आज गंगा दशहरा के पावन अवसर पर मैं समस्त भारतवासियों के साथ ही काशीवासियों से भी विनम्र अनुरोध करता हूं की माता गंगा को बचाने के लिए आगे आए और अपना तन-मन-धन से योगदान करें। महामण्डलेश्वर कल्किराम महाराज ने समस्त सनातन धर्म को मानने वालों को आह्वान किया है की सभी लोग एकजूट हो क्योंकि आने वाला समय बहुत कठिन है और हमारी एकता ही हमारे धर्म और संस्कृति को नष्ट होने से बचा सकती है। महाराज ने कलयुग में होने वाले कल्कि अवतार के महात्म्य पर विस्तार से चर्चा की। इस अवसर पर पं शिव कुमार त्रिपाठी, मदन वाकडे, प्रवीण जाधव, वैभव मिश्रा, चंद्रशेखर अग्रवाल आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।