उत्तर प्रदेशवाराणसी

Varanasi News: तीन लोको में न्यारी काशी का शिव बारात ,पूरी दुनिया में विख्यात

वाराणसी । शिव बारात समिति द्वारा आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान संयोजकों ने कहा कि काशी की पहचान, मौज-मस्ती, यहां के बनारसीपन की मिसाल रही विश्वप्रसिद्ध शिव बारात इस वर्ष 43वें वर्ष में प्रवेश कर रही है। इस बार शिवबारात के 43 वर्षों का सतरंगी सफर 8 मार्च को महाशिवरात्रि के पर्व पर निकलने वाली शिवबारात में अपने क्लाइमेक्स पर नजर आयेगा। उन्होंने कहा कि शिव बारात समिति प्रतिवर्ष समाज के ज्वलन्त मुद्दों, देश की बड़ी उपलब्धियों को शिव बारात में शामिल करती रही है। इसी वजह से लोगों ने इस शिव बारात को विशेष महत्व ही नहीं दिया बल्कि शीर्ष पर पहुंचाकर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया। भौतिक और आर्थिक दबाव का असर इस मौज-मस्ती वाले शहर पर भी पड़ा है, लोग तनाव का जीवन जी रहे हैं। बनारसीपना और यहां की मौज-मस्ती धीरे-धीरे लुप्त हो रहा है। तनाव से मुक्ति और लुप्त हो रहे मौज-मस्ती, बनारसीपन की पुर्नस्थापना शिव बारात का मुख्य उ‌द्देश्य है। बनारसियों का सबसे प्रिय उनके मिजाज से मेल खाता त्योहार होली है, इसलिए बनारसियों को मस्ती से सरोबार करने के लिए इस बार बनारसी अपनी मस्ती के अनुरूप होलियाना अंदाज में शिव बारात निकलेगी। काशी में पहली बार बनारसी होली के साथ-साथ अलग-अलग प्रांतों की होली देखने-समझने को मिलेगा, विश्वप्रसिद्ध बरसाने की लट्ठमार होली मुख्य आकर्षण होगा। पुरी की स्थयात्रा और काशी की शिव बारात में यह समानता है कि इन दोनों के आयोजन में अमीर-गरीब के बीच कोई भेद नहीं होता। समाज का बड़ा से बड़ा आदमी और समाज के सबसे नीचले तबके का आदमी समान रूप से इस आयोजन में शामिल रहते हैं।
तीन लोकों में न्यारी काशी शिव की नगरी के नाम से पूरी दुनिया में विख्यात है और बाबा भोले के विवाह से जुड़ी शिवरात्रि का दिन शीर्ष पर माना जाता चूंकि महाशिवरात्रि बाबा भोलेनाथ के विवाह का दिन है इसलिए हम सभी काशीवासी अपने परमपिता बाबा भोलेनाथ के विवाह की वर्षगाठ शिव बारात निकाल कर मनाते हैं और उत्सव के रंग में पूरी तरह डूब जाते हैं। सभी काशीवासी नाचते-गाते हैं और बाबा के बाराती बनकर इटलाते हैं और बाबा के परमप्रिय भांग के रंग में डूब जाते हैं। भूत, पिशाऊ, ताल-बेताल, सपेरे, मदारी, साधु-सन्यासी, देवी-देवता, जादूगर, हिजड़ा, बैण्ड-बाजा, ढोल-नगाड़ा से सुसज्जित बारात में सात समंदर पार की दुनिया से आये विदेशी आकर्षण के केन्द्र होंगे। इस बार की बारात समिति के लोकप्रिय अध्यक्ष रहे स्व० जगदम्बा तुलस्यान जी को श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित रहेगी। संस्था प्रतिवर्ष अपने संस्थापकों तथा पूर्व अध्यक्षों के स्मृति अवशेषों को शामिल करती रही है। बारात में शिव बारात के संस्थापक स्व० के०के० आनन्द एडवोकेट, पं० धर्मशील चतुर्वेदी, स्व० कैलाश केशरी, रख० सुशील त्रिपाठी जी पत्रकार, स्व० जगदम्बा तुलस्याम जी शिव बारात से जुड़े रहे जिनकी सोच व परिकल्पना का परिणाम आज शिव बारात के रूप में हम सबके सामने है। उनके स्मृति अवशेष बारात में शामिल रहेंगे। बारात के समापन स्थल दशाश्वमेध पर वधु पक्ष की तरफ से दशाश्वमेध व्यापार मण्डल व विश्वनाथ गली व्यवसायी संघ ठंडई-भांग एवंफूल-माला के साथ स्वागत करेंगे साथ ही स्मृति चिन्ह देंगे।
शिव बारात समिति काशी के साहित्यकारों, डाक्टरों, बुद्धिजीवियों, श्रमजीवियों, विद्वानों, नौजवानों एवं व्यापारियों से बारात में सम्मिलित होने के लिये आमंत्रित करती है पत्रकारवार्ता में मुख्य रूप से सर्वश्री आर० के० चौधरी, दीपक बजाज, अजीत सिंह बग्गा व पवन खन्ना ,मनोज केशरी कार्यकारी अध्यक्ष ,संदीप केशरी उपाध्यक्ष दिलीपसिंह मंत्री एवं संयोजक उपस्थित रहे ।

Advertisements

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button