
धर्म । ज्योतिष की दृष्टि से होलाष्टक दोष माना जाता है, जिसमें विवाह, गर्भाधान, गृह प्रवेश, निर्माण, आदि शुभ कार्य वर्जित हैं। इस वर्ष होलाष्टक 17 से 24 मार्च तक रहेगा। होली के बाद ही शुभ कार्य कर सकेंगे।होलिका दहन इस बार 24 मार्च को है। इससे आठ दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाएंगे। वाराणसी के ज्योतिषाचार्य पं.दिनेश पांडेय ने बताया की 17 मार्च से होलाष्टक प्रारंभ हो जाएगा। यह 24 मार्च होलिका दहन तक रहेगा। होलाष्टक आठ दिनों का होता है। इस दौरान किसी भी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। भारतीय मुहूर्त विज्ञान व ज्योतिष शास्त्र प्रत्येक कार्य के लिए शुभ मुहूर्तों का शोधन कर उसे करने की अनुमति देता है। कोई भी कार्य यदि शुभ मुहूर्त में किया जाता है, तो वह उत्तम फल प्रदान करने वाला होता है। इस धर्म धुरी से भारतीय भूमि में प्रत्येक कार्य को सुसंस्कृत समय में किया जाता है, अर्थात ऐसा समय जो उस कार्य की पूर्णता के लिए उपयुक्त हो। इस प्रकार प्रत्येक कार्य की दृष्टि से उसके शुभ समय का निर्धारण किया गया है। उन्होंने बताया कि ज्योतिष की दृष्टि से होलाष्टक दोष माना जाता है, जिसमें विवाह, गर्भाधान, गृह प्रवेश, निर्माण, आदि शुभ कार्य वर्जित हैं। इस वर्ष होलाष्टक 17 से 24 मार्च तक रहेगा। होलाष्टक से तात्पर्य है कि होली के आठ दिन पूर्व से है अर्थात धुलेंड़ी से आठ दिन पहले होलाष्टक की शुरुआत हो जाती है। 20 मार्च को रंग भरनी एकादशी मनाई जाएगी। ब्रज में रंग भरनी का एकादशी का बहुत महत्व है।होलाष्टक के दौरान विवाह के मुहूर्त नहीं होते, इसलिये इन दिनों में विवाह जैसा मांगलिक कार्य संपन्न नहीं करना चाहिये।
नये घर में प्रवेश भी इन दिनों में नहीं करना चाहिये। भूमि पूजन भी इन दिनों में न ही किया जाये तो बेहतर रहता है नवविवाहिताओं को इन दिनों में मायके में रहने की सलाह दी जाती है। किसी भी प्रकार का हवन, यज्ञ कर्म भी इन दिनों में नहीं किये जाते हैं। 16 प्रकार के संस्कारों में से किसी भी संस्कार को संपन्न नहीं करना चाहिये। इन दिनों किसी की मौत होती है, तो उसके अंत्येष्टि संस्कार के लिये भी शांति पूजन करवाया जाता है।