उत्तर प्रदेशवाराणसी

Varanàsi : काशी में हर्षौल्लास के साथ मनाया जा रहा है बाबा काल भैरव का जन्मोत्सव , दर्शन के लिए उमड़ा जन सैलाब

वाराणसी । बाबा काल भैरव का जन्मोत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर अष्टभैरव प्रदक्षिणा यात्रा के साथ-साथ काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव के मंदिर में 1100 किलोग्राम का केक काटा गया। काशीवासी आज बाबा भैरवनाथ के आठ स्वरूपों का दर्शन और पूजन कर रहे हैं। साथ ही अनादिकालेश्वर बाबा श्री लाट भैरव का भव्य अन्नकूट शृंगार भी किया जाएगा।
बता दे कि इस दिन कालभैरव मंदिर में सुबह से ही दर्शन और पूजन की शुरुआत हो गई जो रात एक बजे तक जारी रहेगा। मंदिर के महंत मोहितनाथ योगेश्वर महाराज ने बताया कि सुबह बाबा का श्रृंगार हुआ जिसमें 101 लीटर दूध से स्नान और दही व सिंदूर से लेपन किया गया। तत्पश्चात बाबा को वस्त्र पहनाकर फूलों का हार पहनाया गया और मदिरा, चीनी का घोड़ा, नीलकंठ के फूल तथा फल आदि नैवेद्य अर्पित किए गए।

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उन्होंने बताया कि मंगला आरती के बाद मंदिर के पट दर्शन के लिए खोल दिए गए। रात में भी बाबा का श्रृंगार होगा और सवा लाख बत्तियों से बाबा की आरती की जाएगी। उन्होंने बताया कि बाबा के लाट भैरव नाम का एक ऐतिहासिक महत्व भी है। कपाल भैरव बाबा श्री लाट भैरव का पौराणिक नाम है, जिसे अंग्रेजों ने लाट भैरव नाम दिया था। काशी में बाबा लाट भैरव को विशेष रूप से पूजा जाता है। लाट भैरव का दर्शन विशाल लिंगाकार स्वरूप में होता है, जबकि अन्य भैरव मूर्त रूप यागया और मदिरा, चीनी का घोड़ा, नीलकंठ के फूल तथा फल आदि नैवेद्य अर्पित किए गए। मंगला आरती के बाद मंदिर के पट दर्शन के लिए खोल दिए गए।
रात में भी बाबा का श्रृंगार होगा और सवा लाख बत्तियों से बाबा की आरती की जाएगी। बाबा के लाट भैरव नाम का एक ऐतिहासिक महत्व भी है। कपाल भैरव बाबा श्री लाट भैरव का पौराणिक नाम है, जिसे अंग्रेजों ने लाट भैरव नाम दिया था। काशी में बाबा लाट भैरव को विशेष रूप से पूजा जाता है। लाट भैरव का दर्शन विशाल लिंगाकार स्वरूप में होता है, जबकि अन्य भैरव मूर्त रूप या पिंड रूप में दिखाए जाते हैं। इन्हें कपालेश्वर महादेव के रूप में भी पूजा जाता है। बाबा कपाल भैरव काशीवासियों के पाप और पुण्य कर्मों का शोधन करने वाले देवता माने जाते हैं और इसके प्रमाण मंदिर के गर्भगृह में स्थित अष्ट भैरव के चौकियों से मिलते हैं। काशी में अष्टभैरव के रूप में विभिन्न स्थानों पर भैरव विराजमान हैं।

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