Varanàsi News : मरकज़ी शिया जामा मस्जिद दारानगर में सैय्यद हसन नसरुल्लाह की याद में जलसा ए एहतेजाज आयोजित

वाराणसी। बनारस के इमाम ए जुमा, मौलाना सैय्यद मोहम्मद ज़फ़र अल हुसैनी की सदारत में मरकज़ी शिया जामा मस्जिद, दारानगर में एक जलसा ए एहतेजाज आयोजित किया गया, जिसमें लेबनॉन के सैय्यद हसन नसरुल्लाह की शहादत की याद को ताज़ा किया गया। यह जलसा दफ़्तर इमामे जुमा के आह्वान पर हुआ, जिसमें मौलाना सैय्यद मोहम्मद ज़फ़र अल हुसैनी के नेतृत्व में बनारस के कई अन्य धार्मिक नेता और मोमिन शरीक हुए।
इस जलसे का आग़ाज़ मौलवी ताहिर जवाद ने तिलावते कलाम पाक से किया। इसके बाद अतश बनारसी, मातमदार बनारसी और रिज़वान बनारसी ने ताज़ियती कलाम पेश किया। मौलाना हसन रज़ा ने अपनी तक़रीर में सैय्यद हसन नसरुल्लाह की खिदमतों को याद किया और मीडिया द्वारा उन्हें आतंकवादी कहने की कड़ी निंदा की। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारत सरकार की आधिकारिक सूची में न ही हिज़्बुल्लाह का और न ही सैय्यद हसन नसरुल्लाह का नाम आतंकवादी संगठनों के रूप में है।
मौलाना ज़ायर हसन ईमानी ने इस्लाम और मौला अली के दिए हुए मज़लूमों की मदद और ज़ालिमों के खिलाफ खड़े होने के दर्स का ज़िक्र किया। उन्होंने इस्राएल के खिलाफ सैय्यद हसन नसरुल्लाह के संघर्ष और फिलिस्तीनी मज़लूमों की आवाज़ बनने के उनके कारनामों को याद किया।
जलसे में मौलाना इश्तेयाक अली, मौलाना तौसीफ़ अली, और मौलाना शेर अली ने भी अपनी तक़रीरें पेश कीं, जिनमें सैय्यद हसन नसरुल्लाह की अब तक की ख़िदमतों पर तफसील से रौशनी डाली गई। हाजी फ़रमान हैदर ने दाइश के आतंकियों के खिलाफ सैय्यद हसन नसरुल्लाह की बहादुरी को याद किया और कहा कि भारत को उनका एहसानमंद होना चाहिए, क्योंकि उन्होंने 40 भारतीयों को दाइश के चंगुल से छुड़ाकर भारत वापस भेजा था।
जलसे के समापन पर मौलाना सैय्यद मुहम्मद अक़ील हुसैनी ने मजलिस में फिलिस्तीन की आज़ादी और हिज़्बुल्लाह के संघर्ष पर तक़रीर की। उन्होंने सवाल उठाया कि जब भारत की आज़ादी के सेनानियों को स्वतंत्रता सेनानी कहा जाता है, तो फिलिस्तीन की आज़ादी की जंग लड़ने वालों को आतंकवादी क्यों कहा जा रहा है?
अंत में शिया जामा मस्जिद दारानगर के प्रशासनिक सचिव सैय्यद मुनाज़िर हुसैन मंजू ने जलसे में शामिल सभी लोगों का धन्यवाद किया।