
पटना,बिहार । शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी 12 यूनिवर्सिटी के पदाधिकारियों के वेतन पर लगी रोक को हटा लिया है। करीब 15 हजार से ज्यादा शिक्षक और कर्मचारियों के वेतन भुगतान का रास्ता साफ हो गया है। केके पाठक ने पटना हाई कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षा विभाग को तुरंत आदेश दिया। उसके अलावा बैंक खातों के संचालन पर लगी रोक को भी हटा लिया। यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों का वेतन बीते तीन महीनों से बंद रहा। उसके बाद वे काफी परेशान थे। लगातार राजभवन से गुहार लगाई जा रही थी।
हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब शिक्षा विभाग ने उस पर से रोक हटा ली है। ध्यान रहे कि केके पाठक और राजभवन के बीच विवाद काफी लंबा चला। हालांकि, कहा ये जा रहा था कि राज्यपाल सर्वोपरि होते हैं। केके पाठक को यूनिवर्सिटी मामले में दखल देने का अधिकार नहीं।जानकारी के मुताबिक शिक्षा विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव ने शनिवार को सूबे के सभी यूनिवर्सिटी के कुलपतियों को पत्र लिखकर इसकी जानकारी भेज दी है। उन्होंने बैंक प्रबंधन को भी पत्र लिखकर सरकार के इस फैसले की जानकारी दे दी है। शिक्षा विभाग ये कदम पटना हाई कोर्ट के निर्देश के बाद उठाया है। ध्यान रहे कि शिक्षा विभाग ने विभागीय बैठक पूर्व में बुलाई थी। इस बैठक में कुलपति नहीं पहुंचे थे।
इस अवहेलना से केके पाठक काफी नाराज हो गए थे। उन्होंने यूनिवर्सिटी के खाता संचालन पर रोक लगा दी थी। विभाग ने ये कार्रवाई 15 मार्च को की थी। इसके बाद यूनिवर्सिटी के सभी बैंक खाते निष्क्रिय हो गए थे। जिस वजह से हजारों शिक्षकों, प्रोफेसरों और कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पा रहा था।पटना हाई कोर्ट में इस मामले को लेकर तीन मई को सुनवाई हुई। उसके बाद पटना हाई कोर्ट बनाम मगध यूनिवर्सिटी बनाम राज्य सरकार और अन्य मामले में दायर मामले की सुनवाई की।
उसके बाद तत्काल प्रभाव से खातों पर लगी रोक हटाने और वेतन चालू करने का आदेश पारित किया। जिसके बाद शुक्रवार को शिक्षा विभाग की बड़ी बैठक का आयोजन हुआ। शनिवार को सचिव की ओर से पत्र जारी कर कुलपतियों को निर्णय के बारे में सूचित किया गया। उसके बाद बैंकों को पत्र लिखा गया कि खाते पर लगा रोक हटा लिया गया है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद केके पाठक नरम पड़े हैं। अब यूनिवर्सिटी के खाता संचालन पर लगी रोक को तत्काल प्रभाव से हटा लिया गया है।
जिससे हजारों कर्मचारियों के वेतन का रास्ता साफ हो गया है।पटना: बिहार सरकार में शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक के तेवर नरम पड़ गए हैं। अपर मुख्य सचिव का पदभार संभालने के बाद से केके पाठक लगातार चर्चा में हैं। केके पाठक का राजभवन के साथ विवाद पुराना हो चला है। कई बार केके पाठक ने राजभवन के आदेश से इतर आदेश निकाल दिया। चाहे वो भर्ती का विज्ञापन हो या फिर कुलपतियों की बैठक। कई बार केके पाठक खुद उसमें शामिल नहीं हुए। वहीं दूसरी ओर कुलपति केके पाठक के बुलाने के बाद शामिल नहीं हुए।