Varanàsi News : कोविड के दो साल बाद मुहर्रम पूरे अकीदत के साथ मनाया जाएगा : सैयद फरमान हैदर

वाराणसी । बनारस में मुहर्रम 1446 हिजरी सन् 2024 शहादते हुसैनी का 1386वां साल इमामबाड़ों व घरों में होगी मजलिसे ,,मेरी खुशियों का सफर गृम से शुरु होता है, मेरा हर साल मुहर्रम से शुरु होता है।”सात ,आठ , इमाम हुसैन की शहादत के सिलसिले से मनाया जाने वाला मोहर्रम इस वर्ष या 31 जुलाई 2024 से चांद के दर्शन के हिसाब से शुरू होगा। दो महीना आठ दिन तक चलने वाला हजरत अली समिति के सचिव/मीडिया प्रभारी व शिया जमा मस्जिद के प्रवक्ता ने बुधवार को गोलघर स्थित पराड़कर स्मृति भवन के सभागार में आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेंस के जरिये बताया उन्होंने कहा कि कोविड के दो साल बाद मोहर्रम पूरे अकीदत के साथ मनाया जायेगा। शहर में तकरीबन 60 से ऊपर जुलूस एक से 13 मोहर्रम तक उठाये जायेंगे। इमाम हुसैन की शहादत (आशुरा) 16 या 17 जुलाई को मनायी जायेगी। इस्तकबाले अजा की मजलिसे 6 जुलाई से शुरु हो जायेगी। पहली मेहर्रम शहर भर के विभिन्न इलाकों में प्रातः 7 बजे से मजलिसो का कार्यक्रम शुरू हो जायेगा। दिन में 4 बजे सदर इमामबाड़ा लाट सरैया में कैम्पस के अन्दर ही अलम और दुलदुल का जुलूस उठाया जायेगा। अन्जूमने नौहा और मातम करेंगी।
मोमेनीन शिरकत करेंगी। दूसरी मोहर्रम, शिवपुर में अंजुमने पंजतनी के तत्वाधान में अलम व दुलदुल का जुलूस रात 8 बजे उठाया जायेगा । बनारस के अलावा दूसरे शहरों की अंजुमने भी शिरकत करेंगी। भारतरत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के मकान पर दिन में 2 बजे कदीमी मजलिस का आयोजन होगा । तीसरी मोहर्रम को अलम व दुलदुल का कदीमी जुलूस औसानगंज नवाब की ड्योढ़ी से सायं 5 बजे उठाया जायेगा। अंजुमन जौव्वादिया जुलूस के साथ साथ रहेगी। जुलूस आलीम हुसैन रिजवी के निवास से उठाया जायेगा, जो हरिश्चन्द्र घाट के पास कुमहार के इमामबाड़े पर समाप्त होगा। तीन मोहर्रम को ही रामनगर में बारीगढ़ी स्थित सगीर साहब के मकान से अलम का जुलूस उठाया जायेगा। चौथी मोहर्रम को ताजिये का जुलूस शिवाले में आलीम हुसैन रिजवी के निवास से गौरीगंज स्थित काजिम रिजवी के इमामबाड़े पर समाप्त होगा। चार गोहर्रम को ही चौहट्टा में इम्तेयाज हुसैन के मकान से 2 बजे दिन में जुलूस उठकर इमाम बाड़ा तक जायेगा। चौथी मुहर्रम को ही तीसरा जुलूस अलम व दुलदूल का चौहट्टा लाल खां इमाम बाड़ा से रात 8 बजे उठकर अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ सदर इमामबाड़ा लाट सरैया पर समाप्त होगा। पांचवी मोहर्रम छत्तातले गोविन्दपुरा इमामबाडे से अलम का जुलूस अंजुमन हैदरी के संयोजन में उठाया जायेगा। स्व, वज्जल खां के परिवार के लोग मरसिया पढ़ेंगे। शहनाई पर मातमी धुन भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के परिवार के लोग धुन पेश करेंगे। जिसमें जामीन हुसैन, फतेह अली, अली अब्बास आदि शामिल रहेंगे। पांच मोहर्रम को ही अर्दली बाजार में हाजी अबुल हसन के निवास से इमाम हुसैन के छः महीने के बच्चे शहीद अली असगर की याद में झूले का जुलूस उठेगा। जो मास्टर जहीर हुसैन के इमामबाड़े पर जाकर समाप्त होगा। पांच मोहर्रम को ही रामनगर में महाराज बनारस की मन्नत का जुलूस उठाया जायेगा। जिसमें अलग व दुलदुल शामिल रहेगा ये जुलूस अहले सुन्नत हजरात उठाते हैं। छठीं मुहर्रम में तारीख बनारस के मोहर्रम के लिए ऐतिहासिक है। दुलदुल का कजुलूस सायं पांच बजे अंजुमन जौव्यादिया के जेरे इन्तियाज कच्ची सराय के स्थित शिताब राय इमामबाड़े से उठाया जाता है। ये जुलू जुलूस तकरीबन 40 घंटे तक पूरे शहर में भ्रमण करता है। सभी धर्मों के लोग इसमें शिरकत करते हैं। तकरीबन 8 या 9 थाना क्षेत्रों के होकर गुजरता है। 8 मोहर्रम की सुबह समाप्त होता है। सातवीं मोहर्रम चौहट्टा लाल खां में सातवीं मोहर्रम को इमाम हुसैन के भतीजे (इमाम हसन के पुत्र) 13 साल के जनाबे कासिम की याद में मेंहदी के जुलूस उठाये जाते हैं। यहां मेहदी का दो जुलूस उठा जाता है। एक जुलूस देर रात अपने कदीमी रास्ते से होता हुआ सदर इमामबाड़े लाट सरैया पर समाप्त होता है। ये जुलूस अंजुमन आबिदिया के जेरे इन्तजाम उठाया जाता है। दोषीपुरा में अंजुमन कारवाने कर्बला द्वारा मेहदी का जुलूस उठाया जाता है। हर घर में जनाबे कासीम की याद में रात 12 बजे मेहदी रौशन की जाती है और फातिहा होती है। सात मोहर्रम को कर्बला में इमाम हुसैन व उनके साथियों का पानी बन्द कर दिया गया था। आठवीं मोहर्रम का दिन इमाम हुसैन के छोटे भाई जनाबे अब्बास से सम्बन्धित है। इस दिन जनाबे अब्बास के नाम पर हाजरी की फातिहा करायी जाती है। जनाबे अब्बास इमाम हुसैन के (अलमबरदार) भी थे। रात 8 बजे खाजा नब्बू के चाहमामा स्थित निवास से ताबूत का जुलूस अंजुमन हैदरी के तत्वाधान में उठाया जायेगा। शराफत अली कर्बलायी मर्सिया पेस करेंगे। इसी जुलूस में शहनाई पर भी मातमी धुनों के साथ आंसुओं का नजराना पेश करेंगे। ये जुलूस फातमान से पलटकर भोर में छत्तातले पर समाप्त होगा। शिवाले में डिप्टी जाफर बख्त की मस्जिद से अलम व ताबूत का जुलूस उठाया जायेगा। शिवाले में ही बराती बेगम के इमामबाड़े से दुलदुल का जुलूस उठकर कुम्हार का इमामबाड़ा हरिश्चन्द्र घाट पर समाप्त होगा। आठ मुहर्रम को ही चौहट्टा लाल खां में गिरजा मेहदी के निवास से अलम व ताबूत का जुलूस उठकर मिरघूरा इमामबाड़े जाकर समाप्त होगा। चौहट्टा लाल खां में ही एक और जुलूस आलीम हुसैन के मकान से ताबूत व अलम का जुलूस उठाया जायेगा। इस जुलुस की विशेषता यह है कि पूरे रास्ते में अंधेरा कर दिया जाता है। घरों की भी लाईट बुझा दी जाती है यह जुलूस भी मीरघूरा इमामबाड़े पर जाकर समाप्त होता है। आठ मोहर्रम को ही अर्दली बाजार में जियारत हुसैन के निवास से शददु भाई के संयोजन में अलम व दुलदुल का जुलूस उठाया जायेगा। जो मास्टर जहीर हुसैन साहब के इमामबाड़े पर समाप्त होगा। नवीं मोहर्रम – को शहर भर के तमाम इमामबाड़ों में तथा इमाम चौक पर ताजीया रखी जाती है जो सैकड़ों की तादाद में होती है। कई इलाकों में गश्तीअलम का जुलूस उठाया जाता है जो अपने इलाकों में भ्रमण करता है। लोग नौहा मातम करते चलते हैं। अंजुमन हैदरी चौक गश्ती अलम लेकर फातमान पहुंचती है वहां 4 बजे भोर में अंगारों पर चलकर मातंम किया जाता है। 9 मोहर्रम को ही अपनी नौईयत का खास दुल्ला का जुलूस शिवाला से उठाया जाता है। जिसमें हजारों लोग शिरकत करते हैं ये जुलूस बनारस की अलग पहचान रखता है। लोग शहर भर के इमामबाड़ों में जाकर नौहा मातम करते हैं ताजिए पर मन्नते मागते है। 9 मोहर्रम को ही हड़हा राराय में सायं 3 बजे से हजरत अली असगर के झूले का जुलूस उठता है जो दालमण्डी, नईसड़क, कोदई चौकी होता हुआ छत्तातले पर समाप्त होता है। दसवीं मोहर्रम को आशुरा भी कहते है आज से 1377 साल पहले सन् 61 हिजरी (जुम्मा) ने 10वीं मोहर्रम को ही (शुक्रवार) के दिन इमाम हुसैन ने अजीम कारनामा कर दिखाया था। अपने साथ साथ अपने 71 साथियों जिसमें 18 परिवार के सदस्य भी थे। जिनमें 32 वर्ष का भाई अब्बास 18 वर्ष का बेटा अली अकबर 13 साल का भतीजा कासीम 9 व १० साल के भांजे औन तथा मोहम्मद के अलावा 6 महीने का उनका सबसे छोटा बच्चा अली असगर शामिल था। 10वीं मोहर्रम को पूरे शहर भर में सुबह से जुलूसों को सिलसिला शुरू रहता है शहर की तकरीबन 26 अंजुमने अलम व तुरबक्त व दुलदुल का जुलूस सुबह से शाम तक उठाती रहती है। जिसमे जजीर व कमा (खंजर ) का मातम होता है लोग आंसुओं के साथ-साथ खून का नजराना भी पेश करते हैं ये जुलूस विभिन्न इलाकों और इमामबाड़ा लाट सरैया और दरगाहे फातमान लल्लापुरा तथा शिवाले घाट पर शाम तक समाप्त होते हैं। शिया हजरात १० मोहर्रम को जुलूस के बाद विभिन्न स्थानों पर शामे गरीबों की मजलिस करते है।
ग्यारहवी मोहर्रम को स्व० डॉ ० नाजीम जाफरी के निवास से डॉ मुज्तबा जाफरी के सयोजन में लुटे हुए काफिले का जुलूस 11 बजे दिन में उठाया जाता है इस जुलूस को चुप का डंका भी कहते है रास्ते भर लोग ध्वनि विस्तारक यंत्र पर कलाम पेश करते हुए कदीमी रास्तों से होकर दरगाहे फातमान पहुँचते हैं जहाँ पर मजलिस का आयोजन होता है।
बारहवीं मोहर्रम (तीजा) शहर भर के इमामबाड़ों व इमाम चौक पर इमाम की फतिहा दिलाई जाती है सुबह से ही इमाम के फूल की मजलिसें शुरू हो जाती हैं दोपहर बाद अलम व अखाड़े का जुलूस उठाया जाता है। जो अपने-अपने रास्तों से होकर दरगाहे फातमान लल्लापुरा तथा सदर इमामबाड़ा लाट सरैया पर शाम को समाप्त होता है। तेरहवीं मोहर्रम सदर इमामबाड़े में दुलदुल का जुलूस शाम 4 बजे कैम्पस में ही उठाया जाता है। शहर की कई अजुमने नौहा मातम करती हैं। अंत में उन्होंने कहा कि इस वर्ष मोहर्रम पर एक विशेष कार्यक्रम 23 अक्टूबर रविवार को सदर इमामबाड़े लाट सरैया में दिन में 2 बजे आयोजित होगा। जिसे 72 ताबूत का नाम दिया गया है। कर्बला में शहीद होने वाले 72 शहीदों का ताबूत अंजुमल आबिदिया चौहट्टा लाल खां व शहर की विभिन्न अंजुमने संयुक्त रूप से उठायेंगी। ऐसे ही दरगाहे फातमान में 18 बनी हाशिम का ताबूत, अंजुमन हैदरी के तत्वाधान में 13 नवम्बर रविवार को उठाया जायेगा। पत्रकार वार्ता में मुख्य रूप से सैयद अब्बास रिजवी शफक मोतवल्ली दरगाहे फातमान लल्लापुरा सज्जाद अली गुज्जन मोतवल्ली सदर इमामबाड़ा सैयद आलिम हुसैन रिजवी मोतवल्ली कुम्हारा का इमामबाड़ा सोनारपुरा उपस्थित रहे ।