Varanasi News: संस्कृत से ही स्वयं के साथ-साथ राष्ट्र का चतुर्दिक विकास संभव है : नन्दिनी जी

वाराणसी । उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा सञ्चालित गृहे-गृहे संस्कृतम् योजनान्तर्गत बारह दिवसीय सरलसंस्कृतभाषाशिक्षणकक्षाओं के सामूहिक समारोप सत्र में निदेशक का अभिनन्दन कर उनकी अनुमति से सत्रारम्भ हुआ। सर्वप्रथम वैदिकमङ्गलाचरण शिक्षकः देवदत्तशर्मा ने किया । माता सरस्वती की समाराधना के लिए सरस्वतीवन्दना खुशबु ने की। संस्थानगीतिका का गान शिक्षिका श्वेता अग्निहोत्री ने किया। अतिथियों का वाग्पुष्पों से स्वागत नीतूआचार्या ने किया।
अनुभवकथन ज्ञानेश्वरत्रिपाठी तथा अंकितकुमार ने किया । प्रशासनिक अधिकारी डॉ दिनेश मिश्र ने शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जो शिक्षार्थी पढ़ चुके हैं उन्हें ऐसे ही न छोड़ें बल्कि वे अन्य लोगों को भी जोड़े । और भाषा परिष्कार में निरंतर तत्पर रहे। योजनारूप परिवार मुख्य सर्वदा अपि प्रेरणा देने वाले, समग्र सम्भाषण- योजना के सञ्चालन में चिन्तनशील क्रियान्वयन एवं प्रबन्धन में तत्परा गृहे-गृहे संस्कृतम् इति योजना के प्रमुख भगवानसिंहचौहान ने कहां कि इस योजना में अभी और परिश्रम की अपेक्षा हैं मैं सभी समन्वयकों से आग्रह करता हूं आप निरंतर कार्य करते रहे ।
योगप्रयोगपुरोहितादि में सतत तत्पर व्याकरणादिविषये कृतपरिश्रम संस्कृत भाषाविद्वान् कक्षाशिक्षण मार्गदर्शन जो करते रहते हैं ऐसे समन्वयक श्री दिव्यरंजन ने शिक्षकों द्वारा विहितकार्य की समीक्षा कर आगे अवधान पूर्वक शिक्षण करने हेतु निर्दिष्ट किया। नित्यनिरन्तर ऊर्जा स्फूर्ति के साथ संलग्न योजना के प्रदेश समन्वयक श्री अनिलगौतम ने सत्र में समागत पदाधिकारी केन्द्राध्यक्ष के लिए धन्यवादान् विज्ञापित किया। मोहिनी ने मंच संचालन किया।
अन्त में सत्र की परिसमाप्ति हेतु नीतूसक्सेना ने शान्तिमन्त्र का पाठ किया। इस अवसर पर अतिथि पदाधिकारी समन्वयक, समुपस्थित संस्कृतानुरागी, शिक्षकबान्धव, कार्यालय से ऋषभ पाठक, शांतनु मिश्र, शिवम् गुप्ता इत्यादि सहित केंद्राध्यक्ष एवं छात्र छात्राएं उपस्थित रहीं।