उत्तर प्रदेशवाराणसी

Varanàsi : निजीकरण के विरोध में बिजलीकर्मियों की “बिजली पंचायत” में आक्रोश, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का विरोध प्रदर्शन

निजीकरण के विरोध में बिजलीकर्मचारियों का “बिजली पंचायत” में दिखा आक्रोश

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वाराणसी। दिनांक 14 दिसंबर, वाराणसी में हुई विशाल बिजली पंचायत में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय वापस लेने का प्रस्ताव पारित कर वाराणसी के सांसद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजा गया। बिजली पंचायत में हजारों की संख्या में बिजलीकर्मी और आम उपभोक्ता सम्मिलित हुए।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उप्र ने ऐलान किया कि आगामी 17 दिसंबर को आगरा में कर्मचारियों, किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली पंचायत आयोजित की जाएगी। वाराणसी की बिजली पंचायत में संघर्ष समिति के पदाधिकारियों और अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने ऊर्जा मंत्री द्वारा लाये गए ओ0टी0एस0 योजना को सफल बनाने हेतु बढ़-चढ़कर कार्य करने और बेहतर उपभोक्ता सेवा के साथ राजस्व वसूली कर टारगेट पूरा करने का संकल्प लिया साथ ही वक्ताओं ने कहा कि चार वर्ष पूर्व भी वर्ष 2020 में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय लिया गया था। संघर्ष समिति से वार्ता के बाद उप्र के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना एवं तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा के साथ 6 अक्टूबर 2020 को हुए लिखित समझौते में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय वापस लिया जाता है। समझौते में यह भी लिखा गया है कि उप्र के ऊर्जा निगमों में कर्मचारियों को विश्वास में लिए बिना कहीं पर भी किसी प्रकार का निजीकरण नहीं किया जाएगा। संघर्ष समिति ने कहा कि अब निजीकरण का यह एकतरफा लिया गया निर्णय इतने बड़े स्तर पर हुए लिखित समझौते का खुला उल्लंघन है जो अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है। संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण एक बड़ी साजिश है। आर एफ पी डॉक्यूमेंट जारी होते ही इस साजिश का खुलासा हो जाएगा। मात्र एक रुपए में पूरे 21 जनपदों की जमीन निजी घरानों को सौंपना किसके हित में है, यह सभी समझते हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि अरबों खरबों रु की पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की परिसंपत्तियों का सी ए जी से आडिट कराए बिना मात्र 1500 करोड़ रुपए की रिजर्व प्राइस के आधार पर निजीकरण करने का क्या मतलब है? संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की अरबों रुपए की परिसंपत्तियों को कौड़ियों के मोल निजी कम्पनी को बेचा जा रहा है जिसे न कर्मचारी स्वीकार करेंगे और न ही आम उपभोक्ता। संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण से सबसे बड़ी चोट उपभोक्ताओं पर पड़ने वाली है। मुम्बई में टाटा पावर और अदानी पॉवर काम करती हैं। मुम्बई में घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली की दरें 17-18 रुपए प्रति यूनिट है। उप्र में घरेलू उपभोक्ताओं की अधिकतम बिजली दर रु 6.50 प्रति यूनिट है। स्पष्ट है कि निजीकरण होते ही उप्र में किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दर तत्काल 10 रु प्रति यूनिट या अधिक हो जाएगा। वाराणसी की बिजली पंचायत ने एक स्वर से पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण को अस्वीकार्य कर दिया और सरकार से मांग की कि निजीकरण का प्रस्ताव उपभोक्ताओं और कर्मचारियों के हित में तत्काल वापस लिया जाय जिससे ऊर्जा निगमों में अनावश्यक तौर पर औद्योगिक अशांति न हो, बिजली पंचायत के बाद उपभोक्ताओं और कर्मचारियों ने शान्ति पूर्वक पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम के मुख्यालय तक पैदल मार्च किया। मुख्यालय पर ज्ञापन लेने के लिए प्रबंधन का कोई अधिकारी उपलब्ध नहीं था। अतः संघर्ष समिति के निर्देश पर सभी लोग शांति पूर्वक वापस चले गए।
सभा को सर्वश्री ई0 शैलेंद्र दुबे, ई0 जितेंद्र गुर्जर, डॉ0 आर0बी0 सिंह, मायाशंकर तिवारी, पी0के0 दीक्षित, सुहैल आबिद, आर0के0 वाही, सत्या उपाध्याय, निखिलेश सिंह, ई0 सुनील यादव, ई0 मनोज कुमार, नकुल चौधरी, रामकुमार झा, उदयभान दुबे, ई0 बी0बी0 राय, ई0 नरेंद्र कुमार, अंकुर पाण्डेय ने संबोधित किया।

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