Varanasi : अप्लास्टिक एनीमिया के मरीज़ों को मिल रही पीएम राहत कोष की सौगात

Shekhar pandey
वाराणसी। अप्लास्टिक एनीमिया कोई आम बीमारी नहीं है ये कैंसर से भी ज्यादा खतरनाक घातक और खर्चीली बोन मैरो की समस्या है, जिसमे मरीज को बार-बार ब्लड रक्त और प्लेटलेट्स लगाने-चढ़ाने पड़ते हैं। उक्त जानकारी सुप्रसिध्द होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ ए के दिवेदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दी। डॉ द्विवेदी ने कहा कि पिछले 27 सालों से इस बीमारी को लेकर न सिर्फ मरीजों का इलाज कर रहे है, बल्कि सरकार और समाज को भी इसके प्रति जागरूक करने की लगातार कोशिश में लगे हुए हैं। जब लोग एनीमिया सुनते हैं तो अक्सर यही मान लेते हैं कि यह सिर्फ आयरन अथवा विटामिन की कमी से जुड़ी समस्या है। अप्लास्टिक एनीमिया बिलकुल अलग और अत्यधिक ज्यादा गंभीर बीमारी है, जिसमें शरीर के बोन मैरो खून बनाना बंद कर देते है साथ ही उनका बोन मैरो रक्त कडिकाओं को मार भी डालता है जिसके कारण यह स्थिति इतनी गंभीर होती है कि समय पर इलाज न हो तो मरीज की जान तक जा सकती है। इसकी दवाएँ महंगी होती है, इलाज लंबा चलता है और कई बार तो बोन मैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है। जब मरीजों की यह पीडा सुनी तो उन्होंने मुख्यमंत्री, राज्यपाल और प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखे ताकि सरकार इस बीमारी को गंभीरता से ले और मरीजों की मदद के लिए आगे आए। उनकी इस पहल का असर दिखा, एक अप्लास्टिक एनीमिया के मरीज को भेजा पीएम राहत कोष योजना के तहत 3,00,000 की सहायता राशि प्राप्त हुई है। अब और भी लोग जागरूक हों और इस योजना का लाभ उठाएँ। उन्होंने कहा कि सरकार कैसर, किडनी सहित हार्ट जैसे रोगियों को विशेष ध्यान के साथ इलाज हेतु रूपये की सहायता करती है तो अप्लास्टिक एनीमिया को भी उसी श्रेणी में लाना चाहिए क्योंकि यह बीमारी भी उतनी ही जानलेवा और खतरनाक है तथा इसका इलाज भी उतना ही अधिक खर्चीला है। उन्होंने बताया कि यह जानकर हैरानी होती है कि ज्यादातर अप्लास्टिक एनीमिया के मामलों में यह पता ही नहीं चलता कि उन्हें यह बीमारी क्यों हुई। कुछ लोगों में यह डेंगू या अन्य वायरस, जैसे हेपेटाइटिस या एपस्टीन बार वायरस, कुछ दवाइयों या जहरीले केमिकल्स की वजह से हो सकता है। ज्यादातर मरीजों के लिए यह बीमारी अचानक और बिना किसी चेतावनी के सामने आती है, बहुत कम लोग जानते हैं कि यह बीमारी कैंसर से भी अधिक गंभीर होती है, पर इसका नाम ज्यादातर लोगों को पता नहीं होता। इसके इलाज में भी लगभग वही दवाइयों दी जाती है जो कैंसर के मरीज़ों को मिलती है, जैसे ऐटीजी और सायक्लोस्पोरीन। कई लोग इसे नॉर्मल खून की कमी समझकर आयरन की गोलियों या घर के तरीके अपनाते हैं. लेकिन यह इस बीमारी में बिल्कुल काम नहीं करते और कभी-कभी नुकसान भी कर सकते हैं। अप्लास्टिक एनीमिया का हमेशा के लिए इलाज बोन मैरो ट्रांसप्लांट ही हो सकता है, लेकिन इसके लिए ह्यूमन ल्यूकोसाईट एटीजन का मिलना बहुत मुश्किल होता है, खासकर भारत जैसे देश में जहाँ बोन मैरो डोनेशन के बारे में जानकारी बहुत कम है। अब वक्त आ गया है जब समाज को अप्लास्टिक एनीमिया के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना होगा न सिर्फ मरीजों के लिए, बल्कि नीति-निर्माताओं तक आवाज पहुँचाने के लिए भी। मरीजों को चाहिए कि वे प्रधानमंत्री राहत कोष जैसी सरकारी योजनाओं के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें और समय रहते आवेदन करें, ताकि उन्हें आर्थिक सहायता मिल सके। वही होम्योपैथी दवा, अप्लास्टिक एनीमिया के इलाज में काफी कारगर साबित हो रही है जिन्हे एटीजी जैसे इलाज से राहत नहीं मिली ऐसे भी कई मरीज होम्योपैथी इलाज लेकर पूरी तरह से स्वस्थ जीवन व्यतीत कर रहें हैं।