मध्यप्रदेश

राष्ट्रगान को लेकर पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की लंबे समय से चली आ रही परंपरा को वर्तमान सीएम ने दिया तोड़

मध्य प्रदेश । मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लंबे समय से चली आ रही परंपरा को तोड़ दिया है । सीएम मोहन यादव ने कहा कि राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत के समय ही खड़े रहना चाहिए. वो हमारे सबके लिए आदर है, लेकिन एक परंपरा बन गई है जैसा हमारा मध्य प्रदेश गान बना अच्छी बात है. कोई विशविद्यालय गान बनाता है कोई कॉलेज गान बनाता है कोई अलग संस्थान अपना गान बनाएगी फिर वह अपने नियम बनाने लगेंगे कि हमारे गान को भी राष्ट्रगान की तरह खड़े होकर सुना जाए, यह क्या बात हुई । उन्होंने राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत के आधार पर दूसरों को तो बराबर नहीं कर सकते ना.वर्ष 2011 में मध्य प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने आठ जुलाई को एक अध्यादेश जारी करके सभी शासकीय आयोजनों और स्कूल-कॉलेजों में ‘मध्यप्रदेश गान’को गाना अनिवार्य कर दिया था. उस समय मध्यप्रदेश के गान पर एमपी के राजनीतिक दल और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मध्यप्रदेश गान को अनिवार्य बनाए जाने के फ़ैसले पर सवाल उठाते हुए कहा था कि जब राष्ट्रीय गान और राष्ट्र गीत गाए जाते हैं तो फिर अलग से मध्यप्रदेश गान की क्या जरुरत है. वहीं सरकार का कहना था कि मध्यप्रदेश गान राज्य की संस्कृति के बारे में इसलिए इसे गाने पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.मध्य प्रदेश गान महज दो घंटे में तैयार हो गया था. इसके रचयिता और वरिष्ठ पत्रकार महेश श्रीवास्तव हैं, उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा था कि सरकार ने सबसे पहले गाने को लिखवाने के लिए विज्ञापन जारी किया था. विज्ञापन के जरिए कई लोगों ने मध्य प्रदेश गान लिखकर भेजे. लेकिन मध्य प्रदेश की सरकार को पसंद नहीं आया. अंत में तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने महेश श्रीवास्तव को मध्य प्रदेश गान लिखने के लिए चुना था. तत्कालीन संस्कृति मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने महेश श्रीवास्तव को फोन लगाकर गान लिखने के लिए कहा. महेश श्रीवास्तव इसके लिए तैयार हो गए. उन्होंने महज दो घंटे के अंदर गान तैयार कर दिया था।

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