उत्तर प्रदेशवाराणसी

Varanàsi : परमपूज्य अघोरेश्वर भगवान श्री रामजी का 32 वा, महानिर्वाण दिवस बड़े ही धूमधाम से मनाया गया

वाराणसी , चंदौली । महानिर्वाण दिवस 29 नवंबर दिन शुक्रवार 2024 को परम पूज्य अघोरेश्वर भगवान राम जी का 32 वा महानिर्वाण दिवस पूज्य माँ श्री सर्वेश्वरी सेवा संघ के प्रांगण में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। प्रातः काल माँ गंगा का पूजन एवं कलश यात्रा निकाली गई जो  “अघोरान्ना परो मंत्रो नास्ति तत्वं गुरो: परम ” का जाप करते हुए परम पूज्य श्री अघोरेश्वर के चरण पादुका तक पहुंच कर सम्पन्न हुआ । तत्पश्चात परम पूज्य श्री अघोरेश्वर महाप्रभु के शिष्य पूज्य श्री गुरुबाबाजी और पूज्य श्री अनिल बाबा जी के द्वारा दिग्बन्धन किया गया उसके पश्चात हवन और खट्वांग कपाल पूजा की गयी। साथ ही दिन में ही भंडारे का कार्यक्रम चलता रहा और सांयकाल अघोरेश्वर गुरुकुल के बच्चों ने हर्षोल्लास के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर विचार-गोष्ठी में पूज्य श्री गुरुबाबाजी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि हम लोग 29 नवंबर को श्री अघोरेश्वर भगवान राम जी का महानिर्वाण दिवस मनाते हैं। आज के दिन हम अपने गुरुजी अवधूत भगवान रामजी का इस संसार में मानव शरीर रूप में होने का स्मरण करते हैं ।

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अपितु वे अपने हर पूर्व जन्म में किसी न किसी रूप में, किसी न किसी स्थान पर इस धरती पर उपस्थित रहे हैं। श्री अनिल बाबा जी ने बताया कि मानव शरीर में उपस्थित हो अपने पूर्व जन्मों के सार-तत्वों को चैतन्य कर युवावस्था में ही अघोरेश्वर की अवस्था को प्राप्त किया। अघोरेश्वर अध्यात्म की परम एवं ईश्वरीय अवस्था हैं। मानव जाति की सहायता एवं सही दिशा दिखाने के उद्देश्य से उनका मानव रूप में अवतरण हुआ सपनों की इस संसार में।उनके द्वारा दिखाया गया मार्ग सार्वभौमिक और सभी बाधाओं से परे हैं। जो कोई भी उनके द्वारा दी गई शिक्षा एवं उपदेशों का अनुसरण करने के लिए प्रेरित होता हैं, वो अपने जीवन का उत्थान जरूर कर सकेगा साथ ही साथ इस दुनिया का भी उत्थान करेगा। उन्होंने बताया कि आज हम पिछले कुछ वर्षों से मानव इतिहास के अंधकारमय दौर में हैं l आज के समय में कुछ सांसारिक रूप से शक्तिशाली एवं प्रभुत्व संपन्न आत्माएं मानवता के विपरीत कार्यरत हैं जिसके परिणामस्वरूप अनेकों अन्य आत्माएं हिंसक तरीके से मृत्यु को प्राप्त हो रही हैं और उनका जीवन समय से पूर्व ही समाप्त हो जा रहा हैं। ऐसा होने से ये आत्माएं भले ही इस संसार से शरीर त्याग चुकी हैं परन्तु वे पूर्ण रूप से इस वातावरण से मुक्त नहीं हो सकी हैं। वे अदृश्य रूप में इस वातावरण में भटक रही हैं। उन्होंने बताया कि साधु , संत एवं दिव्य पुरुषों का यह कर्तव्य बनता हैं वैसी भटकती आत्माओं के पूर्ण मुक्ति के लिए प्रार्थना करें। मैं प्रार्थना करता हु की ऐसी आत्माएं जल्द ही अघोरेश्वर के दिव्य प्रकाश तक पहुंच सके।
इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ. आर के सिंह, डॉ. पी. के. सिंह, श्री बी. एन. सिंह, डॉ. अशोक मिश्रा, डॉ राजेश चौहान, ओम प्रकाश सिंह, सुनीता चौहान और श्री अघोरेश्वर गुरुकुल के बच्चें एवं शिक्षकगण उपस्थित थे।

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