Varanàsi : दशाश्वमेध स्थित श्री शास्त्रार्थ महाविद्यालय में दस दिवसीय ज्योतिष ज्ञान शिविर प्रारंभ

ज्योतिषीय अध्ययन के लिए पंचांग का ज्ञान अनिवार्य: डॉ. आमोद दत्त शास्त्री
वाराणसी। दशाश्वमेध स्थित श्री शास्त्रार्थ महाविद्यालय में दस दिवसीय ज्योतिष ज्ञान शिविर का शुभारंभ हुआ। शिविर के पहले दिन प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए ज्योतिषाचार्य डॉ. आमोद दत्त शास्त्री ने भारतीय ज्योतिष पद्धति की महत्वता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि पंचांग भारतीय ज्योतिष प्रणाली का आधार है। इसके पांच अंग—तिथि, वार, नक्षत्र, योग, और करण—हमारे धार्मिक और सामाजिक जीवन में विशेष महत्व रखते हैं।

डॉ. शास्त्री ने बताया कि प्राचीन काल में धार्मिक क्रियाओं और उत्सवों के आयोजन हेतु पंचांग का निर्माण हुआ। समय के साथ सामाजिक और राजकीय आयोजनों में भी इसका उपयोग बढ़ा। उन्होंने इस शिविर को छात्रों के लिए अत्यंत लाभकारी बताया।

मुख्य अतिथि, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डॉ. गणेश दत्त शास्त्री ने कहा कि ज्योतिषशास्त्र शुभ कार्यों और मांगलिक आयोजनों के लिए मार्गदर्शक है। उन्होंने ऐसे शिविरों के माध्यम से प्राचीन ज्ञान को जनसाधारण तक पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया।
शिविर के प्रशिक्षक और ज्योतिष विशेषज्ञ डॉ. संजय उपाध्याय ने बताया कि इन दस दिनों में प्रतिभागियों को पंचांग और ज्योतिषीय गणनाओं की जानकारी दी जाएगी। शिविर के अंत तक वे तिथियों, ग्रहणों और ज्योतिषीय मुहूर्त निर्धारण में निपुण हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी इस प्रकार के शिविरों का आयोजन छात्रहित में किया जाएगा।
कार्यक्रम संयोजक और महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. पवन कुमार शुक्ल ने बताया कि पहले दिन 65 प्रतिभागियों ने शिविर में भाग लिया। छात्रों की बढ़ती रुचि को देखते हुए शिविर का समय बढ़ाने पर भी विचार किया जाएगा।
इस अवसर पर विशिष्ट वक्ताओं—डॉ. विनोद राव पाठक, डॉ. उमाशंकर त्रिपाठी, और डॉ. शेषनारायण मिश्र—ने भी ज्योतिष के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार साझा किए।
शिविर का उद्देश्य विद्यार्थियों को भारतीय ज्योतिष प्रणाली से जोड़ते हुए प्राचीन ज्ञान को आधुनिक समाज में प्रासंगिक बनाना है।