उत्तर प्रदेशलखनऊ

Lucknow News: करना है यदि अपनी भारतीय सनातन संस्कृति सभ्यता का मान,तो सबको मिलकर लेना  होगा संस्कृत भाषा का ज्ञान : नन्दिनी जी

लखनऊ । उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा संचालित गृहे गृहे संस्कृत योजना के अंतर्गत अप्रैल मासीय बारह दिवसीय संस्कृत शिक्षण शिविर केंद्रों का शुभारंभ निदेशक विनय श्रीवास्तव ने  किया। उन्होंने अपने वक्तव्य से सभी शिक्षकों का उत्साह किया। इस अवसर पर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी डॉ दिनेश मिश्र ने कहा कि यह संस्थान की प्राथमिक योजना हैं । जो जनपद स्तर पर संचालित हो कर पूरे प्रदेश में संस्कृत का प्रचार प्रसार कर रही हैं । डॉ जगदानन्दझा ने कहा कि आकर्षक रूप में संस्कृत पढ़ाने से छात्रों में रुचि उत्पन्न होती हैं । उसी के फलस्वरूप संस्कृत कक्षा में वे बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। 
योजना सर्वेक्षक श्री भगवान् सिंह चौहान ने कहा कि सभी शिक्षक जोर शोर से अपने जनपद में शिक्षण केंद्रों का संचालन करें।

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जिससे संस्कृत की सुगंध पूरे प्रदेश में फैले। योजना समन्वयक डॉ अनिल गौतम ने समागतों का स्वागत किया। श्री धीरज मैठाणी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इसी योजना के तहत चैत्र के नवरात्रि महीने में, शक्ति की देवी माता दुर्गा के नौ रूपों  का आह्वान करते हुए बड़े उत्साह के साथ वाराणसी योग विद्यालय, नमोघाट में संस्कृति और संस्कार की भाषा संस्कृत के संभाषण का शिविर का आरंभ संस्कृत शिक्षिका नन्दिनी जी द्वारा किया गया।
मंच संचालन शिक्षिका नन्दिनी जी ने, मंगलाचरण राजलक्ष्मी जी ने तथा शांति मंत्र निधी ने किया। इस अवसर पर वाराणसी  जनपद के वाराणसी योग विद्यालय में केन्द्र प्रमुख श्री अभिषेक पाण्डेय ने सभी बालिकाओं को श्रद्धासुमन अर्पित कर , उन्हे  मां दुर्गा की तरह ज्ञानवान व शक्तिशाली बनने की प्रेरणा दी। 
वही संस्कृत शिक्षिका नन्दिनी जी ने संस्कृत को जानना निम्नलिखित कारणों से आवश्यक है । संस्कृत को जानना निम्नलिखित कारणों से आवश्यक है ।अपने देश की प्रतिष्ठा जानने के लिये।अपनी संस्कृति को जानने के लिए।
जीवन में सही व्यवहार का पालन करने के लिए।वेद,पुराण,स्मृतियों, रामायण, महाभारत, अर्थशास्त्र, शाकुन्तलम् जैसे अनेकानेक ग्रन्थों मे निहित ज्ञान के मर्म को समझने के लिए। हिन्दू धर्म के पालन एवं उचित कर्मकाण्डों के निर्वहन के लिए। संस्कारों एवं शिष्टाचार को समझने के लिये।
मानवता की रक्षा के लिए।प्रकृति की सुरक्षा के लिए। परमात्मा की सन्तुष्टि के लिए। सूक्तियों के अमृतपान के लिए। संस्कृत की पुनर्स्थापना के लिए। जीवन की सार्थकता के लिए । आदि आदि।
शिक्षिका नन्दिनी जी संस्कृतस्य कृते जीवन का समर्पित भाव लिए वह 2020 से लगातार प्रदेश के कई स्थानों पर संस्कृत संभाषण शिविर लगा कर हजारों छात्र-छात्राओं को संस्कृत के प्रति उत्साह जगाकर संस्कृत में बातचीत करने के लिए प्रेरित कर चुकी हैं।

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